मेनका द्विवेदी संवाददाता
खेती में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिये उर्वरकों का संतुलित उपयोग और पोषक तत्वों का प्रबंधन जरूरी है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पौधों को भोजन के लिये 17 प्रकार के पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। उनमें से किसी की भी कमी होने पर पौधे अपना जीवन चक्र पूर्ण नहीं कर पाते। प्रमुख पोषक तत्वों में कार्बन, हाईड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व पोटास शामिल हैं। द्वितीयक पोषक तत्वों में कैल्शियम, मैग्नीशियम व सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्वों में लोहा, मैग्नीज, कॉपर, जिंक, बोरान, मॉलीब्डेनिम, क्लोरीन व निकिल प्रमुख हैं। पौधे इन सब तत्वों को तना, जड़ व पत्तियों द्वारा भूमि, हवा व पानी से ग्रहण करते हैं।
ऐसे करें संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग
किसान भाई खेती के उपजाऊपन को चिर स्थाई बनाए रखने के लिये हमेशा संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग करें। मसलन धान्य (खाद्यान्न) वाली फसलों में 4:2:1 के अनुपात में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व पोटाश का उपयोग करना उचित रहता है। किसी तरह दलहनी फसलों में यह अनुपात 1:3:1 व सब्जियों में 3:2:1 ठीक रहता है। यदि इस अनुपात के अनुसार हम खेती में पोषक तत्वों का उपयोग नहीं करते हैं तो पौधे अन्य तत्वों का भी पूरा उपयोग नहीं कर पाते।
खेत की मिट्टी की जाँच भी अवश्य कराएँ
खेतों में फसल उत्पादन के पहले मृदा (मिट्टी) की जाँच अवश्य कराना चाहिए। मृदा परीक्षण के परिणाम मुख्यत: तीन रूपों में आते हैं – कम, मध्यम व अधिक । यदि मृदा जाँच परिणाम कम आता है तो सिफारिश मात्रा में 25 प्रतिशत से अधिक तत्व देने की जरूरत पड़ती है। यदि मृदा मध्यम आती है तब केवल सिफारिश मात्रा में पोषक तत्वों को दिया जाता है। मृदा जाँच का परिणाम अधिक होने पर सिफारिश मात्रा में 25 प्रतिशत तत्व की मात्रा कम कर देना चाहिए।