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कॉरपोरेट लूट और निजीकरण के खिलाफ मजदूर-किसानों का हुंकार — भोपाल में संयुक्त मोर्चे का जोरदार प्रदर्शन

विवेक झा, भोपाल, 13 अगस्त 2025।
केंद्र सरकार की मजदूर और किसान विरोधी नीतियों, सार्वजनिक संस्थानों के निजीकरण और कॉरपोरेट लूट के खिलाफ आज राजधानी भोपाल में ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से जोरदार प्रदर्शन किया। यह विरोध केंद्रीय श्रमिक संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस के आह्वान पर आयोजित हुआ।

शाम 5:30 बजे होशंगाबाद रोड स्थित डाक भवन चौराहा के सामने सैकड़ों मजदूर, कर्मचारी, अधिकारी और किसान अपने संगठनों के झंडे-बैनरों के साथ जुटे। उन्होंने सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रैली और सभा का आयोजन किया।

केंद्र सरकार पर जनविरोधी नीतियों के आरोप

सभा को संबोधित करते हुए वी. के. शर्मा, शिव शंकर मौर्या, के. के. नेमा, पूषण भट्टाचार्य, विनोद भाई, विद्या बंजारी, मोहम्मद नजीर कुरैशी, भगवान स्वरूप कुशवाहा, एस. पी. मालवीय और पी. एन. वर्मा सहित कई नेताओं ने कहा कि 9 जुलाई 2025 को हुए देशव्यापी हड़ताल और विरोध प्रदर्शनों के बावजूद केंद्र सरकार ने अपनी नीतियों में कोई बदलाव नहीं किया है।

वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार कॉरपोरेट लालच के लिए जल, जंगल और ज़मीन के अधिकारों पर हमला कर रही है। पुराने कानूनों का सहारा लेकर जबरन भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान और किसानों की आजीविका पर संकट बढ़ रहा है।

निजीकरण और विदेशीकरण का विरोध

नेताओं ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सेवाओं की बिक्री तथा निजीकरण राष्ट्रीय हित के खिलाफ है। श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों और ट्रेड यूनियनों के अधिकार कमजोर किए जा रहे हैं। विदेशीकरण को बढ़ावा देकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित साधे जा रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों पर सवाल

वक्ताओं ने भारत सरकार से अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प की टैरिफ धमकियों को ठुकराने और रूस सहित सभी देशों के साथ स्वतंत्र रूप से व्यापार करने के अधिकार का दावा करने की मांग की। उन्होंने भारत-यूके सीईटीए की तुरंत समीक्षा, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते पर वार्ता रोकने और भविष्य के सभी समझौतों को संसदीय जांच और सार्वजनिक परामर्श के बाद ही लागू करने की मांग की।

नेताओं ने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने व्यापार के माध्यम से भारत को गुलाम बनाया था, और आज सीईटीए व अमेरिकी व्यापार समझौते कॉर्पोरेट साम्राज्यवाद के नए औजार हैं। उनका नारा था — “हम इतिहास को दोहराने नहीं देंगे! बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत छोड़ो, फिर से!”

वृहद उपस्थिति

प्रदर्शन और सभा में वी. के. शर्मा, शिव शंकर मौर्या, के के नेमा, पूषण भट्टाचार्य, विनोद भाई, विद्या बंजारी, मोहम्मद नजीर कुरैशी, भगवान स्वरूप कुशवाहा, पी एन वर्मा, एसपी मालवीय, सतीश चौबे, संतोष मालवीय, राम चौरसिया, वैभव गुप्ता, सनी शर्मा, राज भारती, पीनाकिन बेलवलकर, सुनील गायकवाड, जितेन्द्र दोहरे, शिवानी शर्मा, रीता धाकड़, एस एस शाक्या, रमजान भाई, रामाधार कुशवाहा, अशोक भाई, विजय शर्मा, हरी लाल, आरती शर्मा, श्याम शाक्य सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन मजदूरों और किसानों की आजीविका, संप्रभुता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए है और संघर्ष आगे भी जारी रहेगा।

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