राज्य

गोसंरक्षण: सिर्फ परंपरा नहीं, हमारी जिम्मेदारी भी

नरसिंहपुर
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सिर्फ कान्हा की लीलाओं का स्मरण ही नहीं बल्कि उनकी प्रिय गोमाता के प्रति सेवा और संरक्षण का संदेश भी देता है। इसी भाव को जीवंत करते हुए जिला मुख्यालय के समीप ग्राम बहोरीपार कला स्थित त्रिनेत्री सेवा समिति डांगीढाना द्वारा संचालित बहोरीपार गोशाला में इस बार जन्माष्टमी विशेष रही। यहां सुबह से ही गोशाला में उत्सव का माहौल था। सभी 100 से अधिक गोमाताओं को नए टैग लगाए गए, उनका स्नेहपूर्वक पूजन हुआ और हर किसी ने गोसेवा का संकल्प लिया। त्रिनेत्री सेवा समिति के सचिव नवनीत ऊमरे कहते हैं समिति न सिर्फ इन गायों की देखभाल कर रही है बल्कि उनके लिए सालभर हरे चारे की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर रही है। चारागाह विकास, मक्का से साइलेज निर्माण, गिन्नी घास, नेपियर ग्रास, चरी और बाजरे की खेती,ये सब प्रयास गायों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए किए जा रहे हैं।
गोशाला के संचालक इसे आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। नस्ल सुधार, दूध व गो.उत्पाद निर्माण, और गोवंश के संरक्षण को लेकर विस्तृत योजनाएं तैयार की जा रही हैं। आज त्रिनेत्री सेवा समिति बहोरीपार, पाठा, शहजपुरा और उमरिया में चार गोशालाएं संचालित कर रही है। जिनमें करीब 1000 गोवंश का संरक्षण हो रहा है। समिति के अध्यक्ष अजय पटेल का मानना है कि गोसंरक्षण केवल परंपरा नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है। यह सांस्कृतिक धरोहर भी है और पर्यावरण संतुलन का अहम हिस्सा भी।जन्माष्टमी के इस अवसर पर गोपूजन कार्यक्रम में पशु चिकित्सा विभाग से संजय मांझी सहित समिति के सचिव नवनीत ऊमरे,सतीश झारिया, आदित्य झारिया, गोशाला प्रबंधक जय सिंह ठाकुर और गजेन्द्र ठाकुर मौजूद रहे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button