मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उपभोक्ता मांग तथा निवेश बेहतर रहने की संभावना के बीच चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने दूसरी तिमाही के अपने वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही। पहले इसके 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
इसके अलावा आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही के अपने वृद्धि दर के अनुमान को क्रमश: 7.3 और 7.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है।
आरबीआई ने अगस्त में अपनी पिछली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के 7.2 प्रतिशत पर रहने का ही अनुमान लगाया था।
गवर्नर दास ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि भारत की वृद्धि गाथा कायम है क्योंकि वृद्धि को रफ्तार देने वाले कारक उपभोग तथा निवेश मांग में मजबूती है।
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मांग में महत्वपूर्ण हिस्सा रखने वाले निजी उपभोग की संभावनाएं बेहतर हैं क्योंकि कृषि परिदृश्य और ग्रामीण मांग की स्थिति बेहतर हुई है। सेवाओं में तेजी से शहरी मांग को भी समर्थन मिलेगा। केंद्र और राज्यों के सरकारी खर्च के बजट अनुमान के अनुरूप तेजी पकड़ने की उम्मीद है।’’
गवर्नर ने कहा कि उपभोक्ता और कारोबारी भरोसे से निवेश गतिविधियों को लाभ होगा। इसके अलावा सरकार निवेश पर जोर दे रही है और बैंकों तथा कॉरपोरेट जगत का बही-खाता भी मजबूत है।
उन्होंने कहा, ‘‘ इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहेगी। दूसरी तिमाही में इसके सात प्रतिशत, तीसरी में 7.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।’’
मुद्रास्फीति पर सख्ती से लगाम लगानी होगी, अन्यथा यह फिर बढ़ सकती है: आरबीआई गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को बुधवार को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद बुधवार को इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय बैंक को कीमतों की स्थिति पर कड़ी नजर रखनी होगी और ‘‘मुद्रास्फीति’’ पर सख्ती से लगाम लगानी होगी, नहीं तो इसमें फिर से तेजी आ सकती है।
गवर्नर ने यह भी कहा कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्य (एफआईटी) ढांचे को 2016 में लागू किए जाने के बाद से आठ वर्ष पूरे हो गए हैं और यह भारत में 21वीं सदी का एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार है।
केंद्रीय बैंक ने एफआईटी के तहत यह सुनिश्चित किया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे।
आरबीआई ने 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। महंगाई दर के दूसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
दास ने कहा, ‘‘ प्रतिकूल आधार प्रभाव तथा खाद्य पदार्थों कीमतों में तेजी से सितंबर में महंगाई दर में तेजी देखने को मिल सकती है। अन्य कारकों के अलावा 2023-24 में प्याज, आलू और चना दाल के उत्पादन में कमी इसकी प्रमुख वजह होगी।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि अच्छी खरीफ फसल, अनाज के पर्याप्त भंडार और आगामी रबी मौसम में अच्छी फसल की संभावना से इस वर्ष की चौथी तिमाही में कुल मुद्रास्फीति की दर में क्रमिक रूप से नरमी आने का अनुमान है।
दास ने कहा कि प्रतिकूल मौसम और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की स्थिति में मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम है। अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में काफी उतार-चढ़ाव रहा है।
जुलाई और अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट आई है। इसकी मुख्य वजह आधार प्रभाव है।
दास ने कहा कि खाद्य कीमतों में निकट अवधि में तेजी की आशंका के बावजूद घरेलू स्तर पर कीमत को लेकर जो स्थितियां बन रही हैं उससे आगे कुल मुद्रास्फीति में कमी आने का संकेत मिलता है।
आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की चालू वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-
* मुख्य नीतिगत दर रेपो लगातार दसवीं बार 6.5 प्रतिशत पर यथावत।
* फरवरी 2023 से रेपो दर में बदलाव नहीं।
* मौद्रिक नीति रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ किया गया।
* यह पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली बैठक थी।
* चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान 7.2 प्रतिशत पर बरकरार।
* दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान सात प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 7.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 7.4 प्रतिशत।
* चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत पर कायम।
* यूपीआई123पे (फीचर फोन के लिए) प्रति लेनदेन सीमा दोगुनी कर 10,000 रुपये करने का प्रस्ताव।
* यूपीआई लाइट वॉलेट की सीमा बढ़ाकर 5,000 रुपये और प्रति लेनदेन सीमा बढ़ाकर 1,000 रुपये करने का प्रस्ताव।
* एमपीसी की अगली बैठक चार से छह दिसंबर को होगी।
मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उपभोक्ता मांग तथा निवेश बेहतर रहने की संभावना के बीच चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने दूसरी तिमाही के अपने वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही। पहले इसके 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
इसके अलावा आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही के अपने वृद्धि दर के अनुमान को क्रमश: 7.3 और 7.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है।
आरबीआई ने अगस्त में अपनी पिछली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के 7.2 प्रतिशत पर रहने का ही अनुमान लगाया था।
गवर्नर दास ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि भारत की वृद्धि गाथा कायम है क्योंकि वृद्धि को रफ्तार देने वाले कारक उपभोग तथा निवेश मांग में मजबूती है।
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मांग में महत्वपूर्ण हिस्सा रखने वाले निजी उपभोग की संभावनाएं बेहतर हैं क्योंकि कृषि परिदृश्य और ग्रामीण मांग की स्थिति बेहतर हुई है। सेवाओं में तेजी से शहरी मांग को भी समर्थन मिलेगा। केंद्र और राज्यों के सरकारी खर्च के बजट अनुमान के अनुरूप तेजी पकड़ने की उम्मीद है।’’
गवर्नर ने कहा कि उपभोक्ता और कारोबारी भरोसे से निवेश गतिविधियों को लाभ होगा। इसके अलावा सरकार निवेश पर जोर दे रही है और बैंकों तथा कॉरपोरेट जगत का बही-खाता भी मजबूत है।
उन्होंने कहा, ‘‘ इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहेगी। दूसरी तिमाही में इसके सात प्रतिशत, तीसरी में 7.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।’’
मुद्रास्फीति पर सख्ती से लगाम लगानी होगी, अन्यथा यह फिर बढ़ सकती है: आरबीआई गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को बुधवार को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद बुधवार को इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय बैंक को कीमतों की स्थिति पर कड़ी नजर रखनी होगी और ‘‘मुद्रास्फीति’’ पर सख्ती से लगाम लगानी होगी, नहीं तो इसमें फिर से तेजी आ सकती है।
गवर्नर ने यह भी कहा कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्य (एफआईटी) ढांचे को 2016 में लागू किए जाने के बाद से आठ वर्ष पूरे हो गए हैं और यह भारत में 21वीं सदी का एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार है।
केंद्रीय बैंक ने एफआईटी के तहत यह सुनिश्चित किया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे।
आरबीआई ने 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। महंगाई दर के दूसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
दास ने कहा, ‘‘ प्रतिकूल आधार प्रभाव तथा खाद्य पदार्थों कीमतों में तेजी से सितंबर में महंगाई दर में तेजी देखने को मिल सकती है। अन्य कारकों के अलावा 2023-24 में प्याज, आलू और चना दाल के उत्पादन में कमी इसकी प्रमुख वजह होगी।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि अच्छी खरीफ फसल, अनाज के पर्याप्त भंडार और आगामी रबी मौसम में अच्छी फसल की संभावना से इस वर्ष की चौथी तिमाही में कुल मुद्रास्फीति की दर में क्रमिक रूप से नरमी आने का अनुमान है।
दास ने कहा कि प्रतिकूल मौसम और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की स्थिति में मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम है। अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में काफी उतार-चढ़ाव रहा है।
जुलाई और अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट आई है। इसकी मुख्य वजह आधार प्रभाव है।
दास ने कहा कि खाद्य कीमतों में निकट अवधि में तेजी की आशंका के बावजूद घरेलू स्तर पर कीमत को लेकर जो स्थितियां बन रही हैं उससे आगे कुल मुद्रास्फीति में कमी आने का संकेत मिलता है।
आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की चालू वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-
* मुख्य नीतिगत दर रेपो लगातार दसवीं बार 6.5 प्रतिशत पर यथावत।
* फरवरी 2023 से रेपो दर में बदलाव नहीं।
* मौद्रिक नीति रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ किया गया।
* यह पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली बैठक थी।
* चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान 7.2 प्रतिशत पर बरकरार।
* दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान सात प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 7.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 7.4 प्रतिशत।
* चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत पर कायम।
* यूपीआई123पे (फीचर फोन के लिए) प्रति लेनदेन सीमा दोगुनी कर 10,000 रुपये करने का प्रस्ताव।
* यूपीआई लाइट वॉलेट की सीमा बढ़ाकर 5,000 रुपये और प्रति लेनदेन सीमा बढ़ाकर 1,000 रुपये करने का प्रस्ताव।
* एमपीसी की अगली बैठक चार से छह दिसंबर को होगी।