धर्मं

हनुमान जी को प्राप्त अष्ट सिद्धियां

‘सिद्धि’ शब्द का तात्पर्य सामान्यतः ऐसी परलौकिक और आत्मिक शक्तियों से है जो तप और साधना के द्वारा प्राप्त होती हैं |
अणिमा महिमा चैव लघिमा गरिमा तथा |
प्राप्तिः प्राकाम्यमीशित्वं वशित्वं चाष्ट सिद्धयः ||
अर्थ – अणिमा , महिमा, लघिमा, गरिमा तथा प्राप्ति प्राकाम्य इशित्व और वशित्व ये सिद्धियां “अष्टसिद्धि” कहलाती हैं।

1. अणिमा : ‘अणिमा’ का अर्थ होता है अपने शरीर को अणु से भी छोटा कर लेना। इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर कहीं भी विचरण कर लेते थे और इसका किसी को भान भी नहीं होता था।

2-  महिमा : ‘महिमा’ का अर्थ अपने शरीर को असीमित विशाल रूप करने में सक्षम होना होता है इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।

3- गरिमा : ‘गरिमा’ का अर्थ है असीमित रूप से भारी हो जाना। इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर लेते थे। गरिमा सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने महाभारत काल में भीम के समक्ष किया था।

4- लघिमा- इस सिद्धि से साधक का शरीर इतना हल्का हो सकता है कि वह पवन से भी तेज गति से उङ सकता है और पलभर में कहीं भी आ-जा सकता है।

5- प्राप्ति : ‘प्राप्ति’ का अर्थ है सभी स्थानों पर पहुंच जाना। सभी वस्तुओं को प्राप्त कर लेना। इस सिद्धि के बल पर व्यक्ति संसार की किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं, पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकता हैं।

6- प्राकाम्य : ‘प्राकाम्य’ का अर्थ है जो भी इच्छा हो, उसे प्राप्त कर लेना तथा कोई अभिव्यक्ति करे या न करे उसके मन की बात जान लेना। इसी सिद्धि के बल पर पृथ्वी की गहराइयों में पाताल तक जाया जा सकता है और आकाश में कितनी ही ऊंचाइयों पर उड़ा जा सकता है। यही नहीं, मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रहा जा सकता है। इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे। वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को धारण कर सकते हैं।

7-  ईशत्व : ‘ईशत्व’ का अर्थ है ईश्वरस्वरूप हो जाना। ‘ईशत्व’ अर्थात ईश्वरीय या दैवीय। इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं। इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर सकते हैं।

8- वशीत्व : ‘वशीत्व’ का अर्थ है सभी को वश में कर लेने की शक्ति। इस सिद्धि के प्रभाव से ही हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं। वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं। हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है।

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