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धार्मिक व अन्य स्थलों पर कर्णप्रिय ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग

मेनका द्विवेदी संवाददाता

शासन द्वारा ध्वनि प्रदूषण के नियंत्रण के संबंध में जारी दिशा निर्देशों के कड़ाई से अनुपालन कराने तथा ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित किये जाने के सम्बन्ध में प्रभावी कार्यवाही हेतु निर्देश दिये गये हैं। उक्त के अनुक्रम संज्ञान में आया है कि विभिन्न धर्म स्थलों में निर्धारित डेसिबल का उल्लंघन करते हुए लाउडस्पीकर का उपयोग किया जा रहा है। शोर से मनुष्य के काम करने की क्षमता, आराम, नींद और संवाद में व्यवधान पडता है।

कोलाहल पूर्ण वातावरण के कारण उक्त रक्तचाप, बैचेनी, मानसिक तनाव तथा अनिद्रा जैसे प्रभाव शरीर में पाये जाते है। अधिक शोर होने पर कान के आंतरिक भाग की क्षति होने के प्रमाण पाये गये है। लाउडस्पीकरों और हार्न के यहां तक कि निजी आवासों में भी इस्तेमाल पर व्यापक दिशा निर्देश माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त संदर्भित निर्णय अंतर्गत जारी किए गए है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष प्रकरण क्र. 681/2018 प्रचलित है।

इस प्रकरण में हरित अधिकरण द्वारा समय समय पर जारी आदेशों के परिपालन में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली द्वारा मध्य प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु ष्एक्शन प्लानष् बनाने एवं लागू करने के निर्देश दिये गये हैं।

 

सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के दिशा निर्देशों ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 तथा मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 के प्रावधानों के सम्यक अनुपालन हेतु निर्देशित किया गया है।

ध्वनि प्रदूषण विनियमन और नियंत्रण नियम 2000 यथा संशोधित के नियम 3 (1) व 4 (1) के अनुसार नियमावली के शेड्यूल में Ambient Air Quality Standards In Respect Of Noise के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों जैसे औद्योगिक वाणिज्यिक रहीसी व शांत क्षेत्र में दिन वह रात के समय अधिकतम ध्वनि तीव्रता निर्धारित की गई है।

तदानुसार सभी जिलों में उपयुक्त क्षेत्र को वर्गीकृत करते हुए अधिकतम अनुमृत्य ध्वनि सीमा डेसीबल में सुनिश्चित किए जाने हेतु आदेश प्रसारित किए गए हैं।

जिले के विभिन्न क्षेत्रों के लिए ध्वनि मानकों को क्रियान्वित करने के प्रयोजन के लिए औद्योगिक, वाणिज्यिक, आवासीय या शांत क्षेत्र,परिक्षेत्र के क्षेत्र को वर्गीकृत कर मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। इस संबंध में कृति कार्यवाही से शासन व मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अवगत कराया जाए।

ध्वनि प्रदूषण के मामलों की जांच हेतु उड़ान दस्तों का गठन

प्रत्येक जिले में ध्वनि प्रदूषण के संबंध में शिकायतें प्राप्त होने पर उक्त की त्वरित जांच कार्यवाही निष्पादित करने के लिए उपयुक्त संख्या में उड़नदस्तों का गठन किया जाए। जिसमें जिला प्रशासन द्वारा नामित अधिकारी , संबंधित थाने का थाना प्रभारी अथवा उसका प्रतिनिधि और क्षेत्रीय अधिकारी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नामित अधिकारी को शामिल किया जाए।

उड़नदस्तों द्वारा नियमित एवं आकस्मिक रूप से निर्धारित उपकरणों के साथ ऐसे धार्मिक एवं सार्वजनिक स्थलों का औचक निरीक्षण, जहां ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग होता हो तथा प्राप्त शिकायतों के आकस्मिक जांच की जाए तथा नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जाए।

उड़न दस्ते द्वारा जांच के निर्देश प्राप्त होने पर तत्काल जांच कर अधिकतम तीन दिवसों के अंदर समुचित जांच प्रतिवेदन संबंधित प्राधिकारी के सक्षम किया जाए।

आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा उनके सभी क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात कर्मचारियों को जिलेवार आवंटन कर उनके संपर्क नंबर सहित इसकी सूचना सभी जिला दंडाधिकारियों को उपलब्ध कराई जाना अपेक्षित है। जिससे जिले में उड़नदस्ते के संचालन में कोई कठिनाई की स्थिति निर्मित नहीं हो सके।

ध्वनि विस्तारक यंत्रों (लाउडस्पीकरध्डीजे) के नियम विरुद्ध अनियंत्रित व अवांछित प्रयोग से आपस में विवाद व तनाव की घटनायें निर्मित होने स्थिति में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के नियम विरूद्ध व अनियंत्रित प्रयोग पर प्रभावी नियंत्रण लगाने हेतु नियमानुसार निम्नलिखित कार्यवाही विशेष रुप से सुनिश्चित करें-

ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 यथासंशोधित के नियम- 3 ( 1 ) तथा 4 (1) के अनुसार नियमावली के शेड्यूल में अंकित अनुमत्य अधिकतम ध्वनि सीमा (डेसिबल में) के अन्तर्गत ध्वनि मानकों के प्रावधानों का पालन करते हुए सामान्यतः मध्यम आकार के अधिकतम 02 डीजे के प्रयोग को ही अनुमत्य किया जाये। डीजे व लाउडस्पीकर की विधिवत अनुमति सक्षम स्तर से अवश्य ली जाये। किसी भी संस्थाध्व्यक्ति द्वारा ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 यथासंशोधित के प्राविधानों का पालन करते हुए ही ध्वनि विस्तारक यंत्र, लाउडस्पीकर, डीजे का प्रयोग किया जा सकेगा। ऐसे कार्यक्रम जिनमें नियमों का पालन न करते हुए डीजे या ध्वनि विस्तारक यन्त्रों का अनियंत्रित रूप में प्रयोग किया जाता है, उनके आयोजकों के विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जावे। यदि पाया जाता है कि किसी शासकीय अधिकारी ध् कर्मचारी, जिसका ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 यथासंशोधित के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित कराने का दायित्व था, परन्तु उसके द्वारा ऐसा ना करने के कारण किसी धार्मिक स्थल, सार्वजनिक स्थल अथवा कार्यक्रम में नियम विरुद्ध ध्वनि विस्तारक यंत्र ध् लाउडस्पीकर ध् डीजे प्रयोग में लाया गया हो तो जिम्मेदार अधिकारी ध् कर्मचारी के विरुद्ध यथोचित अनुशासनात्मक कार्यवाही सक्षम प्राधिकारी द्वारा किया जाना सुनिश्चित किया जावे। उक्त निर्देशो का निरंतरता के साथ कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाये।

जिले के समस्त उड़नदस्तों का नोडल अधिकारी एक अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी स्तर का अधिकारी होगा, जिसे जिला दण्डाधिकारी द्वारा नामित किया जावेगा। समस्त उड़नदस्तों द्वारा अपनी औचक जाँचों की रिपोर्ट सम्बन्धित क्षेत्राधिकार वाले प्राधिकारी के समक्ष प्रकरण में आगामी कार्यवाही हेतु प्रेषित की जावेगी तथा उक्त प्राधिकारी कार्यवाही कर उसकी सूचना मासिक रुप से जिला स्तर नोडल अधिकारी को दी जावेगी।

संकलित साक्ष्य एवं उड़नदस्ते द्वारा की गयी प्रारम्भिक जाँच प्रतिवेदन एवं उपलब्ध तथ्यों के आधार पर समुचित प्राधिकारी नियमों के उल्लंघनकर्ता प्रबन्धकध्सम्बन्धित व्यक्ति को समुचित सुनवाई का अवसर प्रदान करने हेतु अविलम्ब विधिवत नोटिस जारी करने की कार्यवाही की जाए।

अनावेदक को सुनवाई का अवसर देने के उपरान्त प्राधिकारी ध् मजिस्ट्रेट यथावश्यक धारा- 133 दण्ड प्रक्रिया संहिता की कार्यवाही, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के सुसंगत प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही, ध्वनिं प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के सुसंगत प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही, म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 के सुसंगत प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही विधिवत सुनिश्चित की जाएगी।

सक्षम प्राधिकारीध्मजिस्ट्रेट को अपने समक्ष प्रचलित उक्त समस्त कार्यवाहियों में दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अन्तर्गत तलाशी , जब्ती, साक्ष्य अभिलेखन, आदेशिकायें निर्गत करने की समस्त शक्तियाँ प्राप्त हैं। बतौर प्राधिकारी यदि मजिस्ट्रेट प्रकरण में यथास्थिति धारा-188, 190 भारतीय दण्ड संहिता, अथवा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा-15, म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम एवं अन्य किसी सुसंगत प्रावधान में अभियोजन की कार्यवाही को समुचित पाता है तो समुचित प्राधिकारी अथवा उड़न दस्ते के प्रभारी को जैसा भी वह समीचीन समझे, प्रकरण में यथास्थिति

प्रथम सूचना रिपोर्ट अथवा सक्षम न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करने हेतु आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये जा सकेंगें।

प्राधिकारी यदि पाता है कि प्रकरण में शिकायत मिथ्या थी या लघु प्रकृति की है, तो अभिलिखित किये जाने वाले कारणों का उल्लेख करते हुए किसी भी शिकायत में संक्षिप्त प्रक्रिया अपनाते हुए प्रकरण निक्षेपित किया जा सकेगा।

ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के प्रभावी क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, अपराध अनुसंधान विभाग पुलिस मुख्यालय भोपाल, नोडल अधिकारी नियत किये जाते हैं, उनके द्वारा ध्वनि प्रदूषण के संबंध में जिलों से प्राप्त सूचना संकलित कर म.प्र. शासन, गृह विभाग को उपलब्ध कराई जायेगी।

समस्त संबंधित धर्म गुरुओं संवाद व समन्वय के आधार पर अवैध लाउडस्पीकरों को हटवाया जाये तथा निर्धारित डेसिबल का अनुपालन कराया जाना सुनिश्चित किया जाये। ऐसे धर्म स्थलों की थानावार सूची बनाई जाये जहां उक्त नियमों ध् आदेशों का अनुपालन होना नहीं पाया गया है, तथा इसकी साप्ताहिक समीक्षा जिला स्तर पर की जाये तथा आवश्यक विधिवत कार्यवाही उपरांत प्रथम पालन प्रतिवेदन 31 दिसंबर 2023 तक गृह विभाग, म.प्र. शासन को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।

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