नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में संविधान पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे हैं। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने दो टूक कहा कि हमारा संविधान भारत की एकता का आधार है। इसको बनाने में समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व था। उन्होंने कांग्रेस के नेहरू-गांधी परिवार पर हमला बोलते हुए कहा कि एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इस बात का इसलिए जिक्र कर रहा, क्योंकि इस परिवार ने 55 साल तक देश पर राज किया। इसी वजह से जानने का अधिकार है कि क्या-क्या हुआ।
पीएम मोदी ने कहा, ‘’इस परिवार के कुविचार, कुनीति आदि की परंपरा लगातार चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है। 1947 से 1952 तक देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी। अस्थायी व्यवस्था थी और चुनाव नहीं हुए थे। 1952 से पहले राज्यसभा का भी कोई गठन नहीं हुआ था और जनता का भी कोई आदेश नहीं था, लेकिन इसके बाद भी 1951 अध्यादेश लाकर संविधान को बदल दिया और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया।”
पीएम मोदी ने कहा कि भारत बहुत ही जल्द विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में मजबूत कदम रख रहा है। 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प है कि जब आजादी की शताब्दी मनाएंगे तो देश को विकसित भारत बनाकर रहेंगे। इस संकल्प से सिद्धि के लिए सबसे बड़ी जरूरत है, वह है भारत की एकता। संविधान के निर्माण कार्य में देश के बड़े बड़े दिग्गज, साहित्यकार, स्वंत्रतासेनानी थे। कई फील्ड के प्रोफेशल्स थे।
लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”जब हम संविधान लागू होने के 75 वर्ष का उत्सव मना रहे हैं तो अच्छा संयोग है कि राष्ट्रपति पद पर एक महिला आसीन हैं जो संविधान की भावना के अनुरूप भी है। भारत का गणतांत्रिक अतीत विश्व के लिए प्रेरक रहा है और इसलिए देश को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। हमारी सरकार के निर्णयों में लगातार भारत की एकता को मजबूती देने का प्रयास किया जाता रहा है, अनुच्छेद 370 एकता में रुकावट बना हुआ था और इसलिए हमने जमीन में गाड़ दिया।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि संविधान निर्माताओं के दिमाग में एकता की भावना थी, लेकिन आजादी के बाद देश की एकता के मूल भाव पर प्रहार हुआ और गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोग विविधता में एकता की जगह विरोधाभास खोजते रहे। पीएम मोदी ने कहा कि हमने संविधान की एकता की भावना के अनुरूप नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को बहुत बल दिया है और अब गरीब परिवार के बच्चे मातृभाषा में पढ़ाई करके डॉक्टर-इंजीनियर बन सकते हैं।