सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग इस बात को जरूर मानते हैं कि पीपल के पेड़ को घर आंगन या अपने दरवाजे पर नहीं लगाया जाता है, क्योंकि यह अशुभ की निशानी मानी जाती है. जबकि हर शनिवार को पीपल में जल अर्पित किया जाता है, पूजा किया जाता है, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है. शास्त्र में इसके बारे में बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार पीपल के वृक्ष को देव वृक्ष कहा जाता है.

ऐसा बताया जाता है कि पीपल के पेड़ में बहुत सारे देवी-देवताओं का वास होता है. इसलिए अधिकतर पीपल के पेड़ देवस्थान पर होते हैं. किसी मंदिर के पास पीपल का पेड़ होता है या किसी सड़क के किनारे होता है, जहां लोग पूजा अर्चना करने के लिए जाते हैं. लेकिन पीपल के पेड़ को हम अपने घर दरवाजे के आंगन के बाहर नहीं लगाते हैं.

घर के बाहर अशुभता का प्रतीक
कि वास्तु शास्त्र इस चीज की मनाही करता है. उसके मुताबिक, वास्तु शास्त्र कहता है कि पीपल के पेड़ को घर, बाहर, दरवाजे पर नहीं लगाना चाहिए, यह शुभ नहीं होता है. यह घर के बाहर अशुभता का प्रतीक माना जाता है. वहीं पीपल के वृक्ष की पूजा करने से बहुत ही लाभ होता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोन की मानें, तो पीपल का पेड़ ऑक्सीजन देता है, जो इंसानों के लिए लाभदायक होता है.

घर की दीवार कर देता है कमजोर
पीपल के पेड़ का जड़ बहुत मजबूत होता है और अंदर वह काफी दूर तक फैला होता है. ऐसे में घर के बाहर, दरवाजे के बाहर अगर पेड़ लगाते हैं, तो उसके जड़ बहुत ज्यादा फैलने से घर की दीवार टूट सकती है या खराब हो सकती है. साथ ही वास्तु शास्त्र कहता है कि पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करें. शनिवार के दिन अगर आप पीपल में चना गुड़ और जल चढ़ाते हैं, दीपक जलाते हैं, तो बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है. साथ ही शनि दोष का निवारण होता है. लेकिन पीपल के पेड़ को दरवाजे के बाहर नहीं लगाया जाता है.

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