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बांग्लादेश बैंक की कपड़ों पर पाबंदी जारी रही कुछ घंटे, फैशन को तय करने का फैसला वापस लिया गया

ढाका 
बांग्लादेश में तालिबान की तरह मोरल पुलिसिंग करने की मोहम्मद यूनुस सरकार की कोशिश मुंह के बल गिरी है. बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक ने ऑर्डर जारी कर कहा था कि दफ्तर महिला अधिकारियों को शॉर्ट ड्रेस, शॉर्ट स्लीव और लेगिंग्स पहनने की अनुमति नहीं होगी.

बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने तीन दिन पहले महिला कर्मचारियों को ‘शालीन और पेशेवर’ कपड़े पहनकर दफ्तर आने कहा था. बांग्लादेश बैंक के मानव संसाधन विभाग ने यह भी चेतावनी दी थी कि आदेश का पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. लेकिन सोशल मीडिया में तूफान उठ खड़ा हुआ.

लोग बांग्लादेश बैंक मैनेजमेंट को फेसबुक और एक्स पर ‘शालीन और पेशेवर’ की परिभाषा बताने लगे. बात इतनी बढ़ी कि फिलहाल बांग्लादेश बैंक ने आदेश वापस ले लिया है. कई लोगों ने इस आदेश की तुलना तालिबानी ऑर्डर की. 

रद्द किए गए आदेश के तहत पुरुष कर्मचारियों को लंबी या आधी बाजू वाली औपचारिक शर्ट, औपचारिक पैंट और जूते पहनने का निर्देश दिया गया था, जबकि जींस और फैंसी पजामे पहनने की अनुमति नहीं थी. 

महिलाओं के लिए जारी निर्देश में सभी महिलाओं को साड़ी, सलवार-कमीज, कोई अन्य सादा, शालीन, पेशेवर परिधान, साधारण हेडस्कार्फ़ अथवा हिजाब पहनने के लिए कहा गया था. इस आदेश के तहत उन्हें औपचारिक सैंडल या जूते पहनने की अनुमति दी.

केंद्रीय बैंक के आदेश में महिलाओं को छोटी बाजू के कपड़े या लंबे ढीले पोशाक और लेगिंग पहनने से मना किया गया था. 

निर्देश में कहा गया था कि, “सभी स्तरों के अधिकारियों और कर्मचारियों को देश के सामाजिक मानदंडों के अनुरूप शालीन और पेशेवर ढंग से कपड़े पहनने चाहिए.”

इस आदेश का विरोध करते हुए एक्स पर एक यूजर ने लिखा कि इस्लामिक एजेंडे के तहत बांग्लादेश बैंक ने महिला अधिकारियों को शॉर्ट स्लीव और लैंगिंग्स नहीं पहनने को कहा है. लेकिन बांग्लादेश बैंक के गवर्नर की बेटी अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी पहनती है.

इसके अलावा सभी विभागों को ड्रेस कोड दिशानिर्देशों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था. 

कुछ लोगों ने इस आदेश की तुलना अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन के आदेशों से भी की जिसमें सभी महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर सिर से पांव तक कपड़े पहनने का आदेश दिया गया है.

एक यूजर ने ट्वीट किया, “नए तालिबानी युग में एक सतर्क तानाशाह का शासन.”

बांग्लादेश महिला परिषद की अध्यक्ष फ़ौजिया मुस्लिम ने स्थानीय मीडिया को बताया कि बांग्लादेश में ऐसा निर्देश अभूतपूर्व है. उन्होंने कहा, “एक खास सांस्कृतिक माहौल को आकार दिया जा रहा है, और यह निर्देश उसी प्रयास को दर्शाता है.”

सोशल मीडिया पर मचे बवाल के बीच बांग्लादेश बैंक ने गुरुवार को यह निर्देश वापस ले लिया. प्रवक्ता आरिफ़ हुसैन खान ने कहा कि, “यह सर्कुलर पूरी तरह से एक सलाह है. हिजाब या बुर्का पहनने के संबंध में कोई बाध्यता नहीं लगाई गई है.”

वहीं इस विवाद के बीच बुधवार रात पारित एक अध्यादेश ने नागरिकों को और भी ज्यादा नाराज कर दिया है. इसमें सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रस्ताव है.

बांग्लादेश में बढ़ता तालिबानी असर

गौरतलब है कि बांग्लादेश में हाल के कुछ महीनों में कट्टरपंथी तत्वों का उभार हुआ है. यहां तालिबानी विचारधारा का फुटप्रिंट भी बढ़ा है. रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में इस्लामिक विचारधारा का प्रभाव इतना बढ़ा है कि युवा अब तालिबान और TTP की ओर आकर्षित हो रहे हैं. बांग्लादेश से कम से कम दो पाकिस्तानी तालिबानी सदस्यों के पाकिस्तान होते हुए अफ़ग़ानिस्तान जाने के सबूत मिले हैं. उनमें से एक अप्रैल में वज़ीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना के साथ मुठभेड़ में मारा गया था.

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब मलेशिया ने जून में 36 बांग्लादेशी नागरिकों को आतंकवादी नेटवर्क से कथित संबंधों के आरोप में हिरासत में लिया था. 

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