विश्व में केवल बाँके बिहारी जी का एक ऐसा मंदिर है जहां घंटी_नहीं है, ना ही बजाई जाती है। श्री बिहारी जी छोटे से बालक के रूप में दर्शन दे रहे हैं।

मंदिर में ठाकुर जी किस रूप में विराजमान है?

वैसे तो हमारे ठाकुर जी ब्रज के महाराजा है पर 7 साल के बालक के रूप में स्वामी श्री हरिदास जी लाड लड़ाया करते थे। श्री बाँके बिहारी जी के सामने ताली नहीं बजाई जाती क्यूंकि श्री बांके बिहारी जी की बांके बिहारी लाल स्वरुप में सेवा की जाती है। ताली एवं घण्टी से ठाकुर कई बार चौंक जाते थे इसलिए यह परंपरा बंद कर दी गई।

एक कारण और है ताली बजने का अर्थ है भोग पूरा लग गया है, अब आचमन कर लो पर भक्त बिहारी जी को पेड़े का भोग हर समय लगाते मिलेंगे मंदिर में तो हमारे ठाकुर बिहारी जी खूब खाते हैं।

बिहारी जी नटखट हैं और छोटे से बालक भी हैं इसलिए भक्त के जीवन में बिहारी जी चमत्कार करते रहते हैं। बिहारी जी अपने भक्त को ऐसे देखते हैं जैसे घर पर कोई मेहमान आये तो बच्चा टकटकी लगा कर देखता है, अचानक से नज़र हटाकर दूसरी ओर देखने लगते हैं। ऐसा अनुभव प्रत्येक उस भक्त का होगा जो मंदिर में कहीं भी खड़ा हो ठाकुर उस पर नज़रे लगाये मिलेंगे लेकिन भक्त देखेगा लाड लड़ायेगा तो तुरंत दूसरी ओर देखने लगेंगे।

बड़ा अटपटा ठाकुर है हमारा बांके बिहारी लाल पर प्राणों से प्यारा है लाड़लो

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