ग्वालियर
 ‘भारतीय समाज और विधि के अनुसार शादी एक पवित्र बंधन है और शादी के होते हुए किसी दूसरे के साथ संबंध रखना अनैतिक है। इस अनैतिकता को कानून का जामा पहनाने के लिए किया गया कोई अनुबंध भी अनैतिक ही माना जाएगा।’

यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिला न्यायालय के न्यायाधीश ने दुष्कर्म के मामले को झूठा पाने पर आरोपित को बरी करते हुए कही। न्यायाधीश ने कहा कि कानून महिलाओं को अपराध से सुरक्षित करता है और अपराधी को सजा देता है, लेकिन कोई अगर अनैतिक संव्यवहार करे, चाहे महिला हो या पुरुष, वह व्यवहार कानून की दृष्टि में अवैध ही होगा।

दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाने का यह था मामला

    एक तलाकशुदा महिला द्वारा अभिषेक राजौरिया पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया था। इसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि महिला उस व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशन में रह रही थी।

    इसके साथ ही महिला ने युवक के साथ एक अनुबंध किया था, जिसमें युवक को उस महिला को हर महीने एक तय रकम देना थी। जैसे ही महिला को रकम मिलना बंद हुई, वैसे ही उसने युवक पर दुष्कर्म का झूठा मुकदमा कर दिया।

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि महिला 2015 में किसी अन्य व्यक्ति के साथ भी ऐसा कर चुकी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने बचाव पक्ष के तर्कों और तथ्यों से सहमति जताते हुए युवक को दोषमुक्त कर दिया।

महिला ने पुलिस के सामने गढ़ी थी यह झूठी कहानी

महिला ने पड़ाव थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसकी शादी वर्ष 1999 में हुई थी। पति शराब पीता था तो उसने पति को तलाक दे दिया और अपने पिता के साथ रहने चली गई। महिला के साथ उसकी एक 16 वर्ष और एक 11 वर्ष आयु की बेटी भी रहती है। इस दौरान महिला की पहचान अभिषेक नामक युवक से हुई।

दोनों के बीच दोस्ती हुई तो महिला ने उससे काम दिलवाने की बात कही। युवक ने जून 2016 में काम दिलवाने के बहाने महिला को एक होटल में बुलाया और दुष्कर्म कर दिया। इसके बाद कई बार उसने महिला को शादी का झांसा देकर संबंध बनाए। जब महिला ने शादी के लिए दबाव डाला तो युवक उसे टालने लगा। अप्रैल 2019 में महिला को पता चला कि युवक ने किसी और से शादी कर ली है। इसके बाद महिला ने उसके खिलाफ मामला दर्ज करवाया।

Spread the love

By

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *