
भोपाल, 23 मई 2025।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थायी पीठ के रूप में चयनित किया गया है, जिससे न केवल राज्य के करदाताओं को न्याय सुलभ होगा, बल्कि शहर के कर सलाहकारों के लिए भी यह एक ऐतिहासिक अवसर बनकर सामने आया है। इसी विषय को केंद्र में रखकर टैक्स ला बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में युवा कर सलाहकार पलाश खुरपिया ने जीएसटी ट्रिब्यूनल की संरचना, कार्यप्रणाली, कानूनी प्रक्रियाएं और चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
भोपाल के लिए विशेष अवसर
खुरपिया ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश में एकमात्र जीएसटी ट्रिब्यूनल की बेंच भोपाल में स्थापित की जा रही है, जो यहां के कर सलाहकारों के लिए अपार संभावनाएं लेकर आई है। उन्होंने इसे एक “लॉजिकल हब” के रूप में परिभाषित करते हुए कहा कि अब कर सलाहकारों को ट्रिब्यूनल में द्वितीय अपीलों में प्रतिनिधित्व करने का सशक्त अवसर मिलेगा।
द्वितीय अपील प्रक्रिया – एक गहन कानूनी कार्य
उन्होंने जीएसटी ट्रिब्यूनल में अपील दायर करने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया अत्यधिक तकनीकी और कानूनसम्मत है, जिसके लिए न केवल कानूनी प्रावधानों की गहरी समझ आवश्यक है, बल्कि दस्तावेजों की प्रस्तुति भी बेहद सटीक और अनुशासित होनी चाहिए।
खुरपिया ने बताया कि जीएसटी अधिनियम में ट्रिब्यूनल को अपील दाखिल करने में हुई देरी को माफ करने की शक्ति नहीं दी गई है। यह आयकर ट्रिब्यूनल की कार्यप्रणाली से एक अहम अंतर है, जहां समय सीमा से चूकने पर भी न्याय पाने की गुंजाइश होती है।
अधिक शुल्क, अधिक भार
उन्होंने ट्रिब्यूनल में अपील के लिए लगने वाले शुल्क को भी असंगत रूप से अधिक बताया। फिलहाल न्यूनतम ₹5000 और अधिकतम ₹20000 तक का शुल्क निर्धारित किया गया है। खुरपिया ने सुझाव दिया कि यह शुल्क छोटे व्यापारियों और करदाताओं के लिए भारी पड़ सकता है, अतः इसे न्यायोचित रूप से संशोधित किया जाना चाहिए।
प्रत्येक वर्ष के लिए अलग अपील – एक जटिलता
उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसी आदेश में एक से अधिक वर्षों के विवाद सम्मिलित हैं, तो प्रत्येक वर्ष के लिए अलग-अलग अपील दाखिल करनी होगी और अलग-अलग शुल्क भी अदा करना होगा। यह प्रक्रिया करदाताओं पर अनावश्यक वित्तीय एवं प्रशासनिक दबाव उत्पन्न करती है। इस विषय पर सरकार को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए या प्रक्रिया को सरलीकृत करना चाहिए।
ट्रिब्यूनल की संरचना और जिम्मेदारियां
खुरपिया ने बताया कि जीएसटी ट्रिब्यूनल की प्रधान पीठ दिल्ली में स्थापित की गई है, और अन्य राज्यों में आवश्यकतानुसार बेंचों की अधिसूचना जारी की जा चुकी है। प्रत्येक बेंच में दो न्यायिक सदस्य, एक राज्य जीएसटी तकनीकी सदस्य और एक केंद्रीय जीएसटी तकनीकी सदस्य होंगे। ट्रिब्यूनल संचालन में रजिस्ट्रार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी, जिन्हें प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर सूची प्रबंधन तक की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
अनुभवी सलाहकार की राय – अपडेटेड ज्ञान है सफलता की कुंजी
जीएसटी के वरिष्ठ विशेषज्ञ मुकुल शर्मा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि ट्रिब्यूनल में पेश होना केवल कानूनी जानकारी तक सीमित नहीं होता, बल्कि उसके लिए निरंतर अभ्यास, अद्यतन कानूनी ज्ञान और उत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण कौशल की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि “कड़ी मेहनत, केस लॉ का अध्ययन और दस्तावेज़ों की सटीक तैयारी – यही ट्रिब्यूनल में सफल प्रस्तुति की नींव है।”
उपस्थित गणमान्य पदाधिकारी
इस कार्यक्रम में टैक्स ला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मृदुल आर्य, उपाध्यक्ष अंकुर अग्रवाल, सचिव मनोज पारख, कोषाध्यक्ष धीरज अग्रवाल, सहसचिव संदीप चौहान, कार्यकारिणी सदस्य भूपेश खुरपिया एवं शंकर वसंता सहित कई वरिष्ठ कर सलाहकार और अधिवक्ता उपस्थित रहे।
निष्कर्ष
यह परिचर्चा न केवल जीएसटी ट्रिब्यूनल की संरचना और प्रक्रिया को लेकर ज्ञानवर्धक रही, बल्कि इसमें उपस्थित सलाहकारों के लिए मार्गदर्शन और तैयारी की दिशा भी स्पष्ट हुई। यह कार्यक्रम इस बात का परिचायक रहा कि भोपाल अब केवल प्रशासनिक राजधानी ही नहीं, बल्कि कर न्यायालय प्रणाली का एक सशक्त केंद्र भी बनता जा रहा है।