बुंदेलखंड के सागर जिले में स्थित सरस्वती माता का एक अनोखा मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां मां सरस्वती को पारंपरिक मिठाइयों की बजाय पेन, कॉपी, पेंसिल, रजिस्टर, रबर और शॉर्पनर जैसी अध्ययन सामग्री चढ़ाई जाती है. यह अनूठी परंपरा विशेष रूप से विद्यार्थियों के बीच काफी लोकप्रिय है, जो यहां आकर अपने उज्जवल भविष्य और शिक्षा में सफलता की कामना करते हैं.

बसंत पंचमी पर अद्वितीय परंपरा
बसंत पंचमी, जिसे मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, इस मंदिर में धूमधाम से मनाई जाती है. हर साल हजारों की संख्या में विद्यार्थी और श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और मां सरस्वती से ज्ञान, स्मरण शक्ति, वाणी और बुद्धि की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं. इस दिन कई माता-पिता अपने बच्चों के लिए विद्या आरंभ और अक्षर लेखन संस्कार भी यहां संपन्न करवाते हैं.

मंदिर की खासियत
सागर शहर के इतवारा बाजार में स्थित यह मंदिर प्राचीन उत्तरमुखी सरस्वती प्रतिमा वाला अनोखा मंदिर है. कहा जाता है कि ऐसा मंदिर बुंदेलखंड में तो क्या, पूरे प्रदेश में भी शायद ही कहीं और देखने को मिले.

कैसे होती है विशेष पूजा?
मंदिर के पुजारी पंडित यशोवर्धन चौबे बताते हैं कि बसंत पंचमी पर जो विद्यार्थी अध्ययन सामग्री लाते हैं, वह मां सरस्वती के चरणों में अर्पित की जाती है. इसके बाद पुजारी इन सामग्रियों को आशीर्वाद देकर विद्यार्थियों को वापस प्रसाद रूप में सौंप देते हैं. ऐसा माना जाता है कि इन पवित्र सामग्रियों का उपयोग करने से विद्यार्थियों को मां सरस्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे अपने शैक्षणिक और बौद्धिक क्षेत्र में सफलता पाते हैं.

सरस्वती माता के प्रिय भोग
हालांकि, इस मंदिर में अनार, संतरा और केसर पेड़ा चढ़ाने की परंपरा भी है, लेकिन मुख्य रूप से यहां ज्ञान और शिक्षा से जुड़ी सामग्रियां चढ़ाने का विशेष महत्व है.

विद्यार्थियों की आस्था का केंद्र
जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे होते हैं या शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, वे इस मंदिर में विशेष रूप से आकर मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह मंदिर विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है.

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