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डोनाल�ड ट�रंप अगले महीने अमेरिकी राष�ट�रपति का पदभार संभालने वाले हैं, घबराया ह�आ है व�यापार जगत?

नई दिल�ली
डोनाल�ड ट�रंप अगले महीने अमेरिकी राष�ट�रपति का पदभार संभालने वाले हैं। उससे पहले भारत-अमेरिका व�यापार संबंधों पर संभावित ट�रंप प�रशासन के प�रभाव को लेकर चिंता�ं उठ रही हैं। अब इन चिंताओं को दूर करते ह�� विदेश मंत�री �स जयशंकर ने कहा कि प�रम�ख अर�थव�यवस�थाओं के बीच हमेशा क�छ न क�छ लेन-देन होता रहेगा। उन�होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक मेलजोल में हाल के वर�षों में गहराई आई है। इससे आपसी सहयोग को और बढ़ाने के लि� अन�कूल माहौल बना है।

विदेश मंत�री ने सीआईआई पार�टनरशिप समिट में बोलते ह�� कहा कि अमेरिकी राष�ट�रपति डोनाल�ड ट�रंप के दूसरे प�रशासन का आगमन व�यापारिक क�षेत�रों के लि� �क बड़ा बदलाव है। उन�होंने कहा, “�कमात�र स�रक�षित भविष�यवाणी यह है कि इसमें अनिश�चितता का क�छ स�तर रहेगा। विभिन�न देशों ने पहली ट�रंप सरकार से अन�भव लि� हैं और संभवतः इससे सीखकर दूसरे कार�यकाल के लि� अपनी रणनीतियां बना�ंगे।�

जयशंकर ने कहा, “जहां तक भारत का संबंध है, मैं यकीन से कह सकता हूं कि अमेरिका के साथ रणनीतिक मेलजोल समय के साथ केवल गहरा ह�आ है। इससे सहयोग के लि� अधिक संभावना�ं बनी हैं। निश�चित रूप से, दो बड़ी अर�थव�यवस�थाओं के बीच हमेशा क�छ लेन-देन होते रहेंगे। लेकिन आर�थिक और तकनीकी क�षेत�रों में भरोसेमंद सा�ेदारी का मामला हाल के वर�षों में और मजबूत ह�आ है।�

जयशंकर ने अमेरिक के राष�ट�रपति के रूप में डोनाल�ड ट�रंप के दूसरे कार�यकाल और भारत के लि� इससे ज�ड़े निहितार�थों पर कहा कि अमेरिका के साथ भारत का रणनीतिक तालमेल समय के साथ और गहरा ह�आ है जो कई सहयोगी अवसर प�रदान करता है। उन�होंने कहा, ‘‘दूसरे ट�रंप प�रशासन का आगमन भी स�पष�ट रूप से व�यापारिक हलकों में �क प�रम�ख विचारणीय विषय है। जाहिर है, �कमात�र स�रक�षित भविष�यवाणी �क हद तक अप�रत�याशित ही है।’’

स�रक�षा और निवेश को लेकर सतर�कता जरूरी
उन�होंने कहा कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच �से सा�ेदारी के ढांचे तैयार करने होंगे जो परस�पर लाभकारी माने जा�ं। बिना चीन का नाम लि� जयशंकर ने कहा कि आर�थिक निर�णयों और निवेश को लेकर राष�ट�रीय स�रक�षा का ध�यान रखना जरूरी है। विदेश मंत�री �स.जयशंकर ने चीन द�वारा अपनाई जा रही आक�रामक व�यापार प�रथाओं को लेकर बढ़ती वैश�विक चिंताओं के बीच सोमवार को कहा कि निवेश समेत आर�थिक निर�णयों के दौरान “राष�ट�रीय स�रक�षा की शर�त� को भी ध�यान में रखने की आवश�यकता है। उन�होंने कहा, “यह पसंद हो या नहीं, हम तेजी से शस�त�रीकरण के य�ग में नहीं बल�कि (स�विज�ञ निर�णयों का) लाभ उठाने के य�ग में हैं। इसलि�, नीति निर�माताओं को निवेश सहित आर�थिक निर�णयों के मामले में राष�ट�रीय स�रक�षा को ध�यान में रखना होगा।’’

वैश�विक दक�षिण पर आर�थिक दबाव और भारत की भूमिका
जयशंकर ने अमेरिका-चीन विवाद और यूक�रेन संघर�ष का जिक�र करते ह�� कहा कि ग�लोबल साउथ महंगाई, कर�ज, म�द�रा की कमी और व�यापार में अस�थिरता का सामना कर रहा है। उन�होंने कहा, “द�निया कठिन दौर से ग�जर रही है और �से समय में अधिक मित�र और सा�ेदारों की जरूरत होती है।�

पड़ोस में हाल में ह�� बदलावों का जिक�र करते ह�� विदेश मंत�री ने कहा कि आज के समय में अर�थव�यवस�था�ं और समाज पहले से कहीं अधिक ज�ड़े ह�� हैं। उन�होंने कहा, “कोविड, यूक�रेन संघर�ष या वित�तीय संकट के दौरान हमने साथ मिलकर काम किया और इसका सामूहिक लाभ उठाया। हालांकि, आतंकवाद जैसी च�नौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सहयोग से हटने की लागत च�कानी पड़ती है।� जयशंकर ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि च�नौतियों के बावजूद भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रणनीतिक और आर�थिक सा�ेदारी के लि� अभी भी व�यापक संभावना�ं मौजूद हैं।

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