लंकापति रावण नारी के आठ अवगुणों की चर्चा अपनी महारानी मंदोदरी के सामने कर रहा है। पिछले अंकों में दो अवगुणों – साहस और अनृत का उल्लेख किया जा चुका है। इस अंक में तीसरे अवगुण – चपलता पर प्रकाश डाला जा रहा है।
चपलता यानी चंचलता।
साधारणतः स्त्रियों में चपलता सर्वाधिक होती है। स्त्रियां जब किसी सुंदर वस्तु को देखती हैं , तो वे उसकी ओर आकर्षित हो जाती हैं और फिर उसे पाना चाहती हैं।

रावण के कहने पर जब मारीच स्वर्ण-मृग के कपटरूप में श्रीराम जी के आश्रम के आस-पास घूमने-फिरने लगा , तब सीता जी अपने स्वामी श्रीराम को कहती हैं –
सुनहु देव रघुबीर कृपाला।
येहि मृग कर अति सुंदर छाला।।
सत्यसंध प्रभु बधि करि एही।
आनहु चर्म कहति बैदेही।।
वैदेही (सीताजी) कहती हैं – हे देव ! हे कृपालु रघुवीर ! सुनिए , इस मृग का चर्म (खाल) बहुत ही सुंदर है। हे सत्यप्रतिज्ञ प्रभु ! इसको मारकर इसकी खाल लाइए।
यह नारी की चपलता का उदाहरण है।
चंचलता एवं उतावलापन का भाव स्त्रियों में अधिक होता है – यह रावण की दृष्टि है। इसे सर्वदा याद रखेंगे।

अपनी भार्या सीता के आग्रह पर श्री राम धनुष-बाण लेकर चल पड़े।
तुलसीदास जी लिखते हैं –
तब रघुपति जानत सब कारन।
उठे हरषि सुर काज सवारन।।
तब रघुनाथ जी , जो सब कारण जानते हैं , देव-कार्य संवारने के लिए उत्साह और प्रसन्नतापूर्वक उठे।

श्रीराम तो इस घटना के पहले ही सीता को कह चुके थे – सुनहु प्रिया ब्रत रुचिर सुसीला।
मैं कछु करबि ललित नर लीला।।
तुम्ह पावक महुं करहु निवासा।
जौं लगि करौं निसाचर नासा।।
हे प्रिये ! हे सुंदर पातिव्रत्यधर्म का पालन करने वाली और सुशीले ! सुनो , मैं कुछ ललित नर-लीला करूंगा। जब तक मैं निशाचारों का नाश करूं , तब तक तुम अग्नि में निवास करो।

जबहिं राम सब कहा बखानी।
प्रभु पद धरि हिय अनल समानी।।
निज प्रतिबिंब राखि तहं सीता।
तैसइ सील रूप सुबिनीता।।
जैसे ही श्रीराम ने यह सब कहा , वैसे ही प्रभु के चरणों को हृदय में रखकर सीताजी अग्नि में समा गईं। सीताजी ने अपना प्रतिबिंब वहां रखा , जिसमें वैसा ही शील , सुंदरता और अत्यंत विनम्रता थी।

हम सभी जानते हैं कि एक विशेष प्रयोजन के लिए माता सीता लीला कर रही हैं , इसकी जानकारी लक्ष्मण तक को नहीं थी। तुलसीदास जी लिखते हैं –
लछिमनहूं यह मरमु न जाना।
जो कछु चरित रचा भगवाना।।
भगवान ने जो कुछ लीला रची , उस भेद को लक्ष्मण जी ने भी नहीं जाना।
जब लक्ष्मण तक को यह पता नहीं था, तो रावण को इसकी जानकारी कैसे होती ? अतः रावण को सीता के इस व्यवहार में चपलता दीख रही है। रावण को ऐसा लगता है कि सीता की चपलता के कारण ही उसका अपहरण हुआ।

।। श्री राम जय राम जय जय राम ।।

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