विक्रम अवॉर्ड विवाद: प्रेस कॉन्फ्रेंस में फंसे एवरेस्ट क्लाइंबर मधुसूदन पाटीदार, मीडिया के सवालों पर खामोश
इंदौर | विक्रम अवॉर्ड को लेकर उठे विवाद में नया मोड़ तब आया जब 2017 में माउंट एवरेस्ट फतह कर चुके मधुसूदन पाटीदार गुरुवार को इंदौर प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने खेल विभाग पर गंभीर आरोप तो लगाए, लेकिन जैसे-जैसे पत्रकारों ने सवाल किए, मधुसूदन जवाब देने में असमर्थ नजर आए। कई बार वे अपने ही दावों पर फंसते दिखाई दिए और अंततः वरिष्ठता का हवाला देते हुए भावनात्मक अपील करने लगे।
अदालत में याचिका, मीडिया में आरोप
गौरतलब है कि पाटीदार ने कोर्ट में याचिका दायर कर 2023 के विक्रम अवॉर्ड के चयन को चुनौती दी है। उनकी याचिका पर फिलहाल भावना को अवॉर्ड देने पर रोक लगी हुई है। बावजूद इसके, उन्होंने प्रेस के सामने सरकार और खेल विभाग पर पक्षपात का आरोप लगाया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में किए कई दावे, खुद फंसे सवालों में
पाटीदार ने आरोप लगाया कि 2022 में विभाग ने एडवेंचर स्पोर्ट्स के खिलाड़ियों को जानबूझकर नजरअंदाज किया, जिसकी वजह से उनका नाम अवॉर्ड की दौड़ से बाहर हो गया। उन्होंने कहा कि 2023 में यह कहकर उन्हें बाहर कर दिया गया कि वह 5 साल की पात्रता सीमा से बाहर हो चुके हैं।
लेकिन जैसे ही पत्रकारों ने उनसे पूछा कि 2022 में विभाग ने आवेदन प्रक्रिया की सूचना कैसे दी थी, उन्होंने कहा कि विभाग ने कोई नोटिफिकेशन जारी ही नहीं किया था।
इस पर एक पत्रकार ने 2022 में खेल विभाग द्वारा जारी अधिसूचना की प्रमाणित प्रति दिखा दी।
मधुसूदन इस पर जवाब नहीं दे सके और चुप्पी साध ली।
5 साल की पात्रता को लेकर गोलमोल जवाब
जब उनसे यह पूछा गया कि यदि आवेदन की पात्रता पांच वर्ष है, तो उन्हें किस आधार पर छूट मिलनी चाहिए, तो उन्होंने नियमों से छूट की बात कही, लेकिन जब उनसे उस नियम की प्रति या प्रावधान मांगा गया, तो वह कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे सके।
‘नोटिफिकेशन वेबसाइट पर क्यों नहीं था’ – नया तर्क
जब उनके दावे झूठे साबित होने लगे, तो पाटीदार ने कहा कि नोटिफिकेशन वेबसाइट पर अपलोड क्यों नहीं किया गया।
जब विभाग से इस बारे में पूछा गया तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि,
“आवेदन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन थी, और विभाग ने वर्ष 2022 के लिए राष्ट्रीय स्तर के कई समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किया था। साथ ही नोटिफिकेशन में यह भी उल्लेख था कि संपूर्ण जानकारी विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।”
‘मुझे पर्सनली फोन कर बताया जाना चाहिए था’
प्रेस वार्ता के अंत में पाटीदार ने कहा कि सरकार को उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन कर पुरस्कार आवेदन के लिए सूचित करना चाहिए था।
इस पर खेल जगत से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा कि
“केंद्र सरकार तक अर्जुन पुरस्कार के लिए खिलाड़ी से आवेदन मांगती है, न कि फोन करके आमंत्रण देती है। राज्य सरकार का भी यही नियम है।”
जब तथ्य नहीं दिए तो सकारात्मक कवरेज की गुहार
जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में मधुसूदन अपने किसी भी आरोप के समर्थन में ठोस तथ्य नहीं दे सके, तो उन्होंने मीडिया से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि उनके लिए सकारात्मक रिपोर्टिंग की जाए।