विश्व का  यदि कोई सबसे बड़ा शिवलिंग है तो वह भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले के मरौद ग्राम के भूतेश्वर नाथ शिव लिंग है। भूतेश्वर नाथ शिवलिंग जो घने जंगल के बीच स्वयम्बू प्रकट हुये है। इस शिवलिंग की विशेषता की बात करे तो यह हर वर्ष नित – नित बढ़ रहा है जो अब काफी विशालकाय हो गया है जो अपने आप में यह सिद्ध करता है कि भोले बाबा स्वयं लिंग रूप में इस पावन धरा पर विराजमान है। इस कारण यहाँ करोडो भक्तो का आस्था का केंद्र बना है बाबा के दर्शन के लिए भक्तजन दूर-दूर से बाबा के दरबार में आते है।
इसे विश्व का सबसे विशाल और प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में जाना जाता है। यह जमीन से लगबग 19 फिट ऊंचा और 21 फिट गोलाकार में है। शिवलिंग के समीप ही प्राकृतिक जलहरी है। राजस्व विभाग द्वारा हर वर्ष शिवलिंग की उंचाई नापी जाती है जो लगातार 6 से 8 इंच बढ रही है। कहते हैं कि आज से सैकडो वर्ष पहले पारा गांव निवासी शोभा सिंह जमींदार की यहां पर खेती बाड़ी थी। शोभा सिंह शाम को जब अपने खेत मे जाता था तो उसे खेत के पास एक विशेष आकृति नुमा टीले से सांड के हुंकारने (चिल्लानें) एवं शेर के दहाडनें की आवाज आती थी। कई बार इस आवाज को सुनने के बाद शोभा सिंह ने यह बात जब ग्रामवासियों को बताई। सभी ने आसपास जंगली जानवर को खोजने की कोशिश की। लेकिन दूर-दूर तक किसी जानवर के नहीं मिलने पर टीले के प्रति लोगो की श्रद्वा बढने लगी।
यह स्थान भूतेश्वरनाथ, भकुरा महादेव के नाम से जाना जाता है। इनकी पूजा बिंदनवागढ़ के छुरा नरेश के पूर्वजों द्वारा की जाती थी। दंत कथा है कि भगवान शंकर-पार्वती ऋषि मुनियों के आश्रमों में भ्रमण करने आए थे, तभी यहां शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए।

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