आपने कभी सोचा है, कि वे जेल में ही क्यों जन्मे ?
भादो की काली अँधेरी रात में जब वे आये, तो सबसे पहला काम यह हुआ कि जंजीरे कट गई। जन्म देने वाले के शरीर की और कैद करने वाली कपाटों की भी। वस्तुतः वह आए ही थे जंजीरे काटने… हर तरह की जंजीर!
जन्म लेते ही वह बेड़ियां काटते है। थोड़ा सा बड़े होते हैं तो लज्जा की जंजीरे काटते हैं। ऐसे काटता है कि सारा गांव चिल्लाने लगता है- कन्हैया हम तुमसे बहुत प्रेम करते हैं। सब चिल्लाते हैं- बच्चे, जवान, बूढ़े, महिलाएं, लड़कियां सब… कोई भय नहीं, कोई लज्जा नही!
वह प्रेम के बारे में सबसे बड़े भ्रम को दूर करते हैं और सिद्ध करते हैं कि प्रेम देह का नही, हृदय का विषय है. माथे पर मोरपंख बांधे आठ वर्ष की उम्र में रासलीला करते उस बालक के प्रेम में देह है क्या?
मोरपंख का रहस्य जानते हैं?
मोर के सम्बन्ध में लोक की एक प्राचीन धारणा है कि वह मादा से शारीरिक सम्बन्ध नही बनाता। मेघ को देख कर नाचते मोर के मुंह से गाज गिरती है और वही खा कर मोरनी गर्भवती होती है। माथे पर मोर मुकुट बांधे वह बालक इस तरह स्वयं को गोस्वामी सिद्ध करता है। वह एक ही साथ “पूर्ण पुरुष” और “गोस्वामी” की दो परस्पर विरोधी उपाधियाँ धारण करता है।
कुछ दिन बाद वह समाज की सबसे बड़ी रूढ़ी पर प्रहार करते हैं, पूजा की पद्धति ही बदल देते हैं। अज्ञात देवताओँ के स्थान पर लौकिक और प्राकृतिक शक्तियों की पूजा को प्रारम्भ कराना, उस युग की सबसे बड़ी क्रांति थी। वह नदी, पहाड़, हल, बैल, गाय, की पूजा और रक्षा की परम्परा प्रारम्भ करते हैं। वह इस सृष्टि का पहला पर्यावरणविद् है।
थोड़े और बड़े होते हैं तो परतंत्रता की बेड़िया काटते हैं और उस कालखंड के सबसे बड़े तानाशाह को मारते हैं। राजा बन कर नही मारते, आम आदमी बन कर मारते हैं। कोई सेना नही, कोई राजनैतिक गठजोड़ नहीं। एक आम आदमी द्वारा एक तानाशाह के नाश की एकमात्र घटना है।
इसके बाद वह सृष्टि की सबसे बड़ी बेड़ी पुरुष सत्ता पर प्रहार करता है।आज अपने आप को अत्याधुनिक बताने वाले लोग भी क्या इतने उदार हैं कि सामाज की परवाह किये बगैर अपनी बहन को अपनी गाड़ी पर बैठा कर उसके योग्य प्रेमी के साथ विदा कर दे ?
पर वह ऐसा करते हैं,स्त्री समानता को लागु कराने वाले पहले व्यक्ति हैं।
कुछ दिन बाद वह एक महान क्रांति करते हैं। नरकासुर की कैद में बंद सोलह हजार बलात्कृता कुमारियों की बेड़ी काट कर, और उनको अपना नाम देकर, समाज में रानी की गरिमा दिलाते हैं।
फिर वह ऊंच नीच की बेड़ियां काटते हैं और राजपुत्र हो कर भी सुदामा जैसे दरिद्र को मित्र बनाते हैं, और मित्रता निभाते भी हैं। युगों युगों तक यह मित्रता का आदर्श बनी रहती है।
फिर अपने जीवन के सबसे बड़े रणक्षेत्र में अन्याय की बेड़ियां काटते हैं,कहते हैं कि यदि वह चाहते तो एक क्षण में महाभारत ख़त्म कर सकते थे, पर नहीं, उसे न्याय करना है, उसे दुनिया को बताना है कि किसी स्त्री का अपमान करने वाले का समूल नाश होना ही न्याय है। वह स्वयं शस्त्र नहीं छूते, क्योंकि उन्हें पांडवों को भी दण्डित करना है। स्त्री आपकी सम्पति नही जो आप उसको दांव पर लगा दें, स्त्री जननी है, स्त्री आधा विश्व् है। वह स्त्री को दाव पर लगाने का दंड निर्धारित करते हैं और पांडवों के हाथों ही उनके पुर्वजों का वध कराते हैं। अर्जुन रोते हैं, और अपने दादा को मारते हैं। धर्मराज का हृदय फटता है पर उन्हें अपने मामा, नाना, भाई, भतीजा, बहनोई को मारना पड़ता है। अपने ही हाथों अपने बान्धवों की हत्या कर अपनी स्त्री को दाव पर लगाने का दंड वे जीवन भर भोगते हैं।
वह न्याय करते हैं।वह अन्याय की बेड़ियां तोड़ता है।
वह मानव इतिहास का एकमात्र नायक है। वह महानायक है,रियल हीरो है…इस जगत का सबसे बड़ा गुरु, कन्हैया