हमारे विभिन्न ग्रंथो में भगवान शिव का अवलोकन करने के बाद जो परिणाम आता उसके अनुसार शिव अजन्मा,अनन्त,अविनाशी, निराकारी ,साकार,अखण्ड ऊर्जा ,आदि योगी,जन्म मृत्यु से परे,जिसका कोई नियम नही,ब्रमांड नियंता,त्रिकालदर्शी, पूरा ब्राह्मण शिव से ही उत्पन्न है और सब जड़,चेतन स्वर्ग ,नरक ,सब शिव से ही उत्पन्न होते है और अपनी यात्रा पूरी करके वापस शिव में ही विलीन हो जाते है ! सत्य ही शिव ! शिव ही एक मात्र ऐसे भगवान है जो आधुनिक विज्ञान के सबसे नजदीक है बिग बैंग थ्योरी,क्वांटम थ्योरी,का अध्ययन करने एवम पुराणों के अनुसार भगवान शिव के बारे में जैसे बताया गया है यदि उस पर गहराई से विचार करे तो समझ मे आएगा अरे इनमे तो बहुत समानता है यानी ये बिग बैंग और क्वांटम थ्योरी तो शास्त्रो में पहले से ही मौजूद है बिग बैंग थ्योरी ब्राह्मण की उत्पत्ति के बारे में बताती है ओर क्वांटम थ्योरी ब्राह्मण संचालन के बारे में बताती है उसके बाद में फिजिक्स यानी भौतिक दुनिया का निर्माण हुआ है ओर ये भौतिक दुनिया पँच महाभूतो से बनी हुई और ये पंचमहाभूत तीन तत्वों से मिलकर बने हुए ह सत्व,(न्यूट्रॉन) तमस(इलेक्ट्रॉन)रजस(प्रोटोन) ओर यदि गहराई से विचार करे तो ये तीन तत्व ही है जिनको हम ईश्वर या भगवान कह सकते है क्योकि हर जीव,निर्जीव,साकार,निराकार,इन तीनो के संयोजन से ही बना हुआ है ओर यह कण कण में विद्यमान है और सनातन में ही सिर्फ त्रिदेवों का कॉन्सेप्ट है यानी ब्रह्मा (प्रोटोन) विष्णु(न्यूट्रॉन) महेश (इलेक्ट्रॉन) ओर बिग बैंग बताता है सबसे पहले शून्य था उसके बाद में एक विस्फोट हुआ (बिगबैंग) उसमें से विभिन्न प्रकार की ऊर्जाएं निकली उनसे बाद में ये ब्रह्मांड का निर्माण हुआ और यही हमारे शास्त्रों में लिखा है सब कुछ शून्य था सारी सृष्टि सोई हुई थी फिर एक ज्योति पुंज प्रकट हुआ उसके करोड़ो लाखो वर्षो बाद विष्णु जी प्रकट हुए वो करोड़ वर्षो तक सोये रहे उसके बाद उनकी नाभि से कमल दल प्रकट हुआ और उसके बाद उसमे (कमल दल ) में ब्रम्हाजी पैदा हुए और उसके बाद उन दोनो की निंद्रा भंग हुई अब उनदोनो में विवाद हुआ कोन बड़ा तब उन दोनों ने फैसला करवाने के लिए उस ज्योति पुंज जो एक दंड(खम्बे या पिलर) के रूप में था ,के पास गए और कोन बड़ा कौन छोटा का फैसला करने को कहा तब उस ज्योति से आवाज आई जो भी मेरे अंतिम छोर पर सबसे पहले पहुंचेगा वही बड़ा या श्रेष्ठ बनेगा तब विष्णु ने उस ज्योति पुंज के नीचे की ओर यात्रा करनी आरम्भ करदी और ब्रम्हा ने पुंज के ऊपर की तरफ यात्रा आरम्भ की ओर हजारो करोड़ो वर्षो तक यात्रा करने बाद भी उस ज्योति पुंज का न आदि मिल रहा था न ही अंत अतः जब इतने वर्षों तक यात्रा करने के बाद भी उसका (ज्योति पुंज) का सिरा नही मिला तो रास्ते मे एक केतकी का पौधा ब्रम्हाजी को मिला तब ब्रम्हाजी ने उस केतकी के पौधे को अपने साथ लिया और उसको बोला तुम तुम मेरी गवाही देना की मेने ज्योति पुंज का अंतिम सिरा देखलिया उनके बाद जब विष्णु को भी जब ज्योति पुंज का अंतिम सिरा नही मिला तो वे तक हार कर वापस आगये अब ब्रम्हाजी ने मेने अंतिम सिरा खोज लिया अतः में ही विजेता हुआ तब उस ज्योति पुंज से शिव प्रकट हुए और उन्होंने ब्रम्हाजी के झूंट बोलने पर उनको लताड़ लगाई एवम विष्णु जी को विजयी घोषित किया एवम ब्रम्हाजी के झूंट बोलने पर उनको दंड स्वरूप श्राप दिया कि भविष्य में मेरी ओर विष्णु की पूजा समान रूप से के होगी लेकिन तुम्हारी(ब्रम्हाजी) कभी पूजा नही होगी ओर झूंटी गवाही देने के कारण केतकी को श्राप दिया कि तुम्हारे फूल कभी मेरी पूजा में नही चढ़ेंगे तब से आज तक कभी केतकी के फूलों से शिव की पूजा नही होती और दुनिया मे हजारो लाखो विष्णु,ओर महादेव के मंदिर पाए जाते है ओर उन में रात दिन उनकी पूजा होती ह लेकिन पुष्कर को छोड़ कर कहि ब्रम्हाजी का मंदिर नही है ! सतयुग में भी शिव विद्यमान थे फिर रामायण में भी शिव है और महाभारत में महादेव का उल्लेख है एवम हमारे इतिहास में भी मोहन जोदड़ो एवम हड़पा सभ्यता में नंदी ओर महादेव के पूजने के सबूत मिले है इसी प्रकार मोर्य काल का इतिहास हमको लिखित में मिलता है उस समय भी शिवलिंग स्थापित होते थे और महादेव के रूप में शिवलिंग की पूजा होती थी और किसी न किस रूप में शिवलिंग की पूजा दुनिया के हर देश मे ओर सभ्यता में होने के सबूत है यानी शिव अनादि अनंत है।

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