हिन्दू धर्म में सप्तर्षियों का महत्वपूर्ण स्थान है. ये सात ऋषि हैं- कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज. इन्हें वेदों और पुराणों में दिव्य ज्ञान और तपस्या के प्रतीक के रूप में वर्णित किया गया है. माना जाता है कि ये सातों ऋषि अपनी तपस्या और दिव्य शक्तियों से ब्रह्मांड के संतुलन को बनाए रखते हैं. हिंदू ग्रंथों में इन्हें अमर और सृष्टि चक्र के हर युग में मार्गदर्शक के रूप में बताया गया है. सप्तर्षियों का उल्लेख महाभारत, रामायण और कई अन्य पुराणों में भी मिलता है.

उत्पत्ति:
सप्तर्षियों की उत्पत्ति के बारे में कई मत हैं. कुछ लोगों का मानना है कि वे ब्रह्मा के मन से उत्पन्न हुए थे, जबकि कुछ अन्य उन्हें देवताओं और ऋषियों के संयुक्त वंशज मानते हैं. एक अन्य मान्यता के अनुसार सप्तर्षि हर मन्वंतर में बदलते हैं. वर्तमान मन्वंतर में ये सात ऋषि हैं.

काम:
सप्तर्षियों को वेदों के ज्ञान को संरक्षित करने और उसे मानव जाति तक पहुंचाने का काम सौंपा गया है. उन्होंने विभिन्न वेदों और उपनिषदों की रचना की है. उन्हें धर्म, नीति और अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाले लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए भी जाना जाता है. सप्तर्षि ज्योतिष और खगोल विज्ञान के भी ज्ञाता थे। उन्होंने नक्षत्रों और ग्रहों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है.

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