90 घंटे में पाक की बोलती बंद, AIF चीफ ने खोल दी सीजफायर की सच्चाई
नई दिल्ली
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कई खुलासे किए हैं। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की असली कहानी भी बताी। उन्होंने कहा, “यह एक उच्च तकनीक वाला युद्ध था। 80 से 90 घंटे के युद्ध में हम इतना नुकसान कर पाए कि उन्हें साफ पता चल गया था कि अगर वे इसे जारी रखेंगे तो उन्हें इसकी और भी अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी इसलिए वे आगे आए और हमारे DGMO को संदेश भेजा कि वे बात करना चाहते हैं। हमारी ओर से इसे स्वीकार कर लिया गया।”
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को रोकने के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा, “युद्ध में लोग अपने अहंकार पर उतर आए। एक बार जब हमने अपना उद्देश्य हासिल कर लिया, तो हमें रुकने के सभी अवसर तलाशने चाहिए थे। मेरे कुछ बहुत करीबी लोगों ने कहा, ‘और मरना था’। लेकिन क्या हम युद्ध जारी रख सकते हैं? राष्ट्र ने एक अच्छा निर्णय लिया है।”
उन्होंने यह भी कहा, “हमारे पास बहावलपुर स्थित जैश के हेडक्वार्टर में पहुंचाए गए नुकसान की पहले और बाद की तस्वीरें हैं। यहां लगभग कुछ भी बचा नहीं है। आस-पास की इमारतें पूरी तरह सुरक्षित हैं। हमारे पास न केवल उपग्रह चित्र थे, बल्कि स्थानीय मीडिया से भी तस्वीरें थीं, जिनके माध्यम से हम अंदर की तस्वीरें प्राप्त कर सके।”
वायुसेना प्रमुख ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा कि इस बार भारतीय वायुसेना ने न सिर्फ अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया बल्कि दुनिया को यह भी दिखा दिया कि उसने क्या हासिल किया है।
उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा, “बालाकोट में हम अंदर से कोई ठोस सबूत नहीं ला पाए थे और अपने ही लोगों को यह बताना एक बड़ी चुनौती बन गया था कि हमने क्या हासिल किया है। हमारे पास पुख्ता खुफिया जानकारी थी। मानव स्रोतों के जरिए हमें अंदर की स्पष्ट तस्वीर मिली थी कि भारी नुकसान हुआ है और कई आतंकी मारे गए हैं, लेकिन हम अपने ही लोगों को यह विश्वास नहीं दिला पाए।” उन्होंने आगे कहा, “मैं खुश हूं कि इस बार हम ‘बालाकोट के भूत’ से छुटकारा पाने में सफल रहे। हमने दुनिया को दिखा दिया कि हमने क्या किया है।”
पाकिस्तान के अंदर घुसकर मारा
एपी सिंह ने बताया कि दुश्मन के विमान भारतीय वायुसेना की मारक सीमा में आने की हिम्मत नहीं कर पाए। उन्होंने कहा, “उनके कोई भी विमान ‘आकाश’ और ‘एमआरएसएएम’ की सीमा के करीब तक नहीं आ सके। सभी विमान ‘एलआरएसएएम’ के निशाने पर आए क्योंकि वे दूर रहने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कई बार वे हमारी रेंज में आ जाते थे और तभी हमें उन्हें निशाना बनाने का मौका मिला।”
एयर चीफ मार्शल ने बताया कि उस रात भारतीय वायुसेना ने पूरी तरह से आक्रामक रुख अपनाया था। उन्होंने कहा, “हमने तय किया कि हम ‘पैन फ्रंट’ पर हमला करेंगे और उनकी संसाधनों को फैला देंगे। मकसद किसी एक एयरफील्ड को तबाह करना नहीं था, बल्कि उन्हें यह संदेश देना था कि हम चाहें तो आपके अंदरूनी इलाकों में, जब और जहां चाहें, हमला कर सकते हैं।”