चामुंडेश्वरी माता का यह मंदिर भारत कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर में स्थित है। यह मंदिर मैसूर शहर कुछ से दूर चामुंडी पहाड़ी के ऊपर चोटी पर स्थित एक हिंदू मंदिर है। इस मंदिर में स्थित चामुंडेश्वरी देवी को शक्ति का ही उग्र रूप माना जाता है। माता चामुंडेश्वरी देवी को मैसूर के राजा महाराजाओं के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। कर्नाटक के लोग चामुंडेश्वरी माता को नादा देवी के नाम से जानते हैं, जिसका अर्थ यहाँ की स्थानीय देवी होता है।
चामुंडेश्वरी मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में होयसल राजवंश के शासकों द्वारा किया गया था। लेकिन बाद में मंदिर में स्थित देवी की लोकप्रियता के कारण सन 1399 ईस्वी में मैसूर के महाराजा वोडेयार ने इस मंदिर का विस्तार किया था। चामुंडेश्वरी माता के इस मंदिर के विस्तार का श्रेय यहाँ के तीन राजवंशों (होयसल, विजयनगर और मैसूर के शासकों) को जाता है। इस मंदिर के बारे में प्राचीन अभिलेखों के अनुसार मंदिर का निर्माण होयसल राजवंश के शासकों द्वारा, मंदिर में टावरों का निर्माण का निर्माण विजयनगर शासकों द्वारा और मंदिर का विस्तार मैसूर शासकों द्वारा किया गया था।
चामुंडेश्वरी माता के इस मंदिर के धार्मिक महत्व के बारे में बताया जाता है कि दुर्गा माता ने इसी चामुंडी पहाड़ी की चोटी पर राक्षस राजा महिषासुर का वध किया था। जिस समय माता ने इस राक्षस का वध किया, उस समय इस पूरे क्षेत्र में महिषासुर का ही शासन चलता था, और यह सम्पूर्ण क्षेत्र महिषारु (महिषा का स्थान) के नाम से जाना जाता था। बाद में जब इस देश में अंग्रेजों का शासन आया तो अंग्रेजों यहाँ का नाम बदलकर मैसूर कर दिया।
चामुंडेश्वरी मंदिर मैसूर की वास्तुकला
चामुंडेश्वरी मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली के अनुसार किया गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक सुंदर सात चरणों वाली पिरामिडनुमा मीनार, सात स्वर्ण कलश और भगवान गणेश की एक छोटी सी मूर्ति लगायी गयी है। मंदिर के गर्भ गृह में माता की मूर्ति विराजमान है, और गर्भगृह के ऊपर एक मीनार बनायी गयी है। मंदिर परिसर में भगवान गणेश और नंदी बैल की ग्रेनाइट से बनी मूर्ति भी विराजमान है। यह मंदिर पहाड़ की चोटी में बना है, वहाँ तक पहुँचने के लिए लगभग 800 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।
– महिषासुर प्रतिमा
राक्षस महिषासुर की रंगीन मूर्ति मैसूर शहर में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। यह मूर्ति चामुंडी पहाड़ियों में ही स्थित है। इस मूर्ति में महिषासुर को बाएं हाथ में नाग और दाहिने हाथ में तलवार लिए दिखाया गया है। बताया जाता है कि इस मूर्ति को डोड्डा देवराज वोडेयार के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। जब माता के मंदिर में जाने के लिए पहाड़ियों पर सीढ़ियों का निर्माण किया गया था।
