राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग भोपाल द्वारा पर्यावरण एवं नियोजन संगठन (एपको ) के सहयोग से प्रशिक्षण आयोजित किया गया । प्रशिक्षण में शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं के चिकित्सक, पैरा मेडिकल स्टाफ एवं कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर शामिल थे । प्रशिक्षण में जलवायु परिवर्तन में हो रहे बदलाव के कारण बारिश के कम और ज्यादा होने, फसलों पर हो रहे प्रभाव और मानव स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
पर्यावरण एवं नियोजन संगठन के श्री राम रतन सिमैया ने फसलों के उत्पादन में हो रहे रसायनों के उपयोग एवं ऊर्जा अपव्यय के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि पराली जलाने से स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं। पर्यावरण में होने वाले बदलावों के कारण वेक्टर बॉर्न, फलों, सब्जियों और अनाजों की पौष्टिकता में कमी आ रही है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा कि स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए पर्यावरण को ठीक रखना जरूरी है। पर्यावरण प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को रोज खराब कर रहा है। पर्यावरण को प्रदूषित कर हम अगली पीढ़ी के लिए बीमारियां छोड़ रहे हैं । प्रदूषित पर्यावरण का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य पर होता है। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग पर्यावरण प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण का प्रत्यक्ष असर हमारे श्वसन तंत्र, त्वचा, आंखों पर सबसे पहले दिखाई देता है। स्वस्थ पर्यावरण हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। तंबाखू के धुएं और दूषित पर्यावरण क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (सीओपीडी ) का प्रमुख कारण है। जिससे क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
पर्यावरण एवं नियोजन संगठन के श्री रवि शाह ने जलवायु परिवर्तन की दिशा में किया जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि सभी शासकीय विभागों एवं गैर सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयासों से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रण में लाया जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए छोटे-छोटे उपाय को अपने दैनिक जीवन में अपना सकता है। सार्वजनिक वाहनों अथवा साइकिल का उपयोग, ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ी के इंजन को बंद करना, पानी का अपव्यय कम करना, पेड़ पौधे लगाना, वर्षा जल का संग्रहण, सूखे एवं गीले कचरे को अलग अलग करना, एलईडी लाइट का इस्तेमाल, बिजली के उपयोग को कम करना, जैसे छोटे-छोटे तरीके आसानी से अपनाए जा सकते हैं।