रामचरित मानस में कुछ चौपाइयां ऐसी हैं जिनका विपत्तियों तथा संकट से बचाव और ऋद्धि-सिद्ध के लिए मंत्रोच्चारण के साथ पाठ किया जाता है। इन चौपाइयों को मंत्र की तरह विधि विधान पूर्वक एक सौ आठ बार हवन की सामग्री से सिद्ध किया जाता है। हवन चंदन के बुरादे, जौ, चावल, शुद्ध केसर, शुद्ध घी, तिल, शक्कर, अगर, तगर, कपूर नागर मोथा, पंचमेवा आदि के साथ निष्ठापूर्वक मंत्रोच्चार के साथ करें। इन चौपाई मंत्र को अधिक समझनें के लिए तुलसी दर्शन कवितावली, दोहावली, विनय पत्रिका, बरवै रामायण आदि ग्रंथों का अध्ययन जरुर करें।

ऋद्धि सिद्ध की प्राप्ति के लिए

इसके लिए रामायण के इस मंत्र का जाप करें जो इस प्रकार है-
साधक नाम जपहिं लय लाएं।
होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।।

परीक्षा में सफलता के लिए
जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी।
कवि उर अजिर नाचावहिं बानी।।
मोरी सुधारहिं सो सब भांती।
जासु कृपा नहिं कृपा अघाती ।।

लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए
जिम सरिता सागर मंहु जाही ।
जध्रापि  ताहि कामना नहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहि बोलाएं ।
धर्मशील पहिं जाहि  सुभाएं ।।

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