एक विद्वान् संत को आदत थी हर बात
पे ये कहने की – जय शिव शंकर ,ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा ही करता है..!!
उनके चेलों को बड़ा अजीब लगता था हर अच्छे काम व् बुरे काम पे ये कहना !!
उनको चिड़ होती थी !!
एक दिन महात्मा तुलसी का पौधा लगाने के लिए खुरपे से ज़मीन खोद रहे थे की खुरपा उनकी उंगलीओं पर लग गया । खूब खून बहने लगा !! उनके चेलों ने ज़खम धो कर पट्टी बाँधी !!
संत बार बार बोल रहे थे ; जय शिव शंकर ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा ही करता है !!
चेले हैरान थे और कह रहे थे क्या ये अच्छा हुआ की आपकी ऊँगली कट गयी ???
अगले दिन गुरु जी एक ख़ास शिष्य के साथ जंगल के अन्दर बने माँ काली के मंदिर मे दर्शन के लिए निकल पड़े !!
शिष्य भी साथ था, दोपहर हुई तो गुरू जी ने कहा प्यास लगी होगी तुमको जाओ थोडा जल ले आओ हम इस पेड़ के नीचे विश्राम करते हैं !!
शिष्य पानी लेने निकला तो रास्ता भूल गया ! शाम हो गयी !! शिष्य को रास्ता न मिला गुरू जी वहीँ उसका इंतज़ार कर रहे थे !!
तबी वहीँ एक जंगली आदि वासी लोगों का झुण्ड ढोल नगारे बजा कर वहाँ आ पहुंचा । उन्होंने विद्वान् संत को पकड़ लिया व् ख़ुशी से नाचते गाते उनको बाँध कर लेकर चल पड़े !!
संत बार बार बोल रहे थे ; जय शिव शंकर ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा ही करता है !!
वो उनको काली मंदिर ले गए व् उनको बोले की हम हर साल माँ काली को मनुष्य की बलि देते है !!
सुबह आपकी बलि देंगे व् आपका रक्त माँ काली भोग लगा लेंगी !!
सारी रात उनको बाँध के रक्खा !!
उधर शिष्य सारी रात जंगल मे डरा सहमा बैठा रहा व् गालिआं निकालता रहा भगवान् को की तू बेरहम है तू दया नहीं करता आदि !!
सुबह हुई संत को बोला स्नान कर के आओ ये काला चोला पहनो आपकी बलि देंगे !! संत तैय्यार हुए व् माँ के आगे आ कर बैठ गए !! चेहरे पर कोई शिकन नहीं !!
संत बार बार बोल रहे थे , जय शिव शंकर ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा ही करता है !!
आदिवासी जल्लाद बोला , आप साष्टांग प्रणाम की मुद्रा मे लेट जाओ वो लेट गए !!
वो बोला अपने दोनों हाथ जोड़ कर माँ काली को प्रणाम करो !!
संत ने दोनों हाथ ऊपर उठाये व् फिर बोले –जय शिव शंकर ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा ही करता है !!
जल्लाद गुस्से से बोल पड़ा – ये किसको पकड़ लाये तुम इसका तो अंग भंग हुआ है। इसकी बलि नहीं दी जा सकती माँ रुष्ट हो जायेगी !!
उन्होंने संत को धक्के मार कर बाहर निकाल दिया मंदिर से !! संत वापिस आ रहे थे की शिष्य उनको मिल गया !!
उसने बताया की मै रास्ता भूल गया था बहुत बुरी रात कटी !!
संत ने उसको बताया की आज कैसे भगवान् ने जो किया अच्छा किया !! मेरी जान आदिवासी लोगों ने बक्श दी !!
अगर मेरी ऊँगली ना कटी होती तो मेरी बलि दे दी जाती !!
शिष्य बोला चलो वो तो जो अच्छा हुआ ठीक है पर मेरा रास्ता भूल जाना कैसे अच्छा हुआ ????
संत बोले — प्यारे अगर तू मेरे साथ होता तो मुझे छोड़ दिया जाते पर तू तो पक्का बलि चढ़ जाता क्योंकि तेरा तो कोई अंग भंग नहीं हुआ था !!
इसलिए हमेशा उस परमात्मा की रज़ा मे ही राज़ी रहा करो और बोलो- जय शिव शंकर ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा ही करता है !!
अब तो शिष्य भी बोलने लगा- जय शिव शंकर ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा ही करता है !!
आप सब भी बोला करो – 🕉️🙏जय शिव शंकर ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा ही करता है………