विस्थापितों के संघर्ष में शामिल राज कुमार सिन्हा को सामाजिक पुरस्कार

विस्थापितों के संघर्ष में शामिल राज कुमार सिन्हा को सामाजिक पुरस्कार

✍🏻 मानस टुडे बड़वानी

आनंदवन आश्रम वरोरा चंद्रपुर महाराष्ट्र में बाबा आमटे एकता विकास अभियान ट्रस्ट द्वारा समाजिक कार्यकर्ता पुरस्कार से राज कुमार सिन्हा को पद्मश्री डॉ. चंद्रशेखर में आश्रम और लायंस क्लब कलकत्ता के गवर्नर ओपी शाह ने सम्मानित किया। कार्यक्रम में बाबा आमटे एकता अभियान ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. विकास आमटे, सचिव डॉ. अशोक बेलखोड़़े, डॉ. सोमनाथ रोड़े, गिरिश पदमावर, अतुल शर्मा, अनिल हेब्बर, नफीसा, अशोक भारत सहित केरल, तामिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के प्रतिभागी शामिल थे। सम्मान पत्र में उल्लेख किया है कि जबलपुर जिले में बरगी बांध से विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए अथक प्रयास किया है और 1988 में बाबा आमटे के नेतृत्व में राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सदभाव भारत जोङ़ो यात्रा, जो अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक का था, उसमें भागीदार बने। सिह्ना का काम संघर्ष और निर्माण का अनोखा संगम है। इस पुरस्कार में 51 हजार रुपए नकद और स्मृति चिह्न सहित सम्मान पत्र प्रदान किया है।

बरगी बांध विस्थापित व प्रभावित संघ के शारदा यादव और जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समूह मध्य प्रदेश के अमूल्य निधि एवं राहुल यादव ने कहा कि यह सम्मान करना गांधीवादी विचारोंए राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक सद्भाव, पर्यावरण संरक्षण, संघर्ष की भावना और बाबा और उनके द्वारा पोषित नैतिकता और मूल्यों का सम्मान करने जैसा है। बाबा आमटे सामाजिक कार्यकर्ता पुरस्कार को बिहार से निकलकर मध्य प्रदेश को कर्म भूमि बनाकर सामाजिक न्याय के लिए कार्य करने वाले राजकुमार सिह्ना को प्रदान किया। यह पुरस्कार उनके द्वारा लोगों की शक्ति को केंद्रित कर उन्हें संघटित कर हक की लड़ाई लड़ने के लिए प्रदान किया।

◾ 1990 से नर्मदा घाटी के संघर्ष में शामिल रहे

राजकुमार सिह्ना ने बिहार में स्नातक करने के बाद रोजगार की तलाश पर ध्यान न देकर बाबा आमटे के नेतृत्व में भारत जोड़ा यात्रा में शामिल हुए और संघर्ष और नवनिर्माण का रास्ता चुनकर नर्मदा घाटी में 1990 में आए और तब से अभी 2024 तक लगातार नर्मदा घाटी के लोगों के संघर्ष में नर्मदा बचाओ आंदोलन, बरगी बांध विस्थापित संघ और चुटका परमाणु ऊर्जा विरोधी संघर्ष समिति के साथ न सिर्फ जमीनी संघर्ष किया बल्कि नीतिगत और कानूनी लड़ाई भी लगातार लड़ रहे है। उनका स्थानीय स्थानीय संसाधनों के आधार पर किया गया संघर्ष देश के लिए मिशाल है। बता दें कि सिह्ना को इंडियन रिवर्स फोरम दिल्ली द्वारा नर्मदा नदी संरक्षण के लिए 2021 में राष्ट्रीय भगीरथ प्रयास सम्मान भी दिया गया है।

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