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खेल

72 किलोमीटर खारदुंगला चैलेंज मैराथन में उमेश 94 वें स्थान पर

राजनांदगांव
शहर के उमेश ककीरवार ने 17600 फीट की ऊंचाई पर बनी सबसे कठिन सबसे ऊंची सड़क पर कराई लद्दाख मैराथन को पूरा करते हुए 94 वां स्थान हासिल किया। यह मैराथन माइनस झ्र 4 डिग्री तापमान के बीच शुरू हुई दौड़ को उन्होंने 13 घंटे 19 मिनट में पूरा किया। इस मैराथन दौड़ में शामिल होने वाले छत्तीसगढ के एकमात्र धावक थे। 6 सितंबर को खारदुंगला चैलेंज (72 किमी) मैराथन दौड आयोजित हुई थी।

विश्व की सबसे ऊंची सड़क पर होने के कारण यह विश्व की सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण मैराथन में से एक है। पहले खारदुंग ला टॉप (32 किमी) जाना होता है व फिर वापस 40 किमी लौटना होता है। 72 किमी की इस दौड़ को उमेश ने 13 घंटे 19मिनट में पूरा किया। देश विदेश से 280 युवा धावक शामिल हुए थे। इनमें से 154 ही तय समय में दौड़ पूरी कर सके। मैराथन खारदुंग गांव ( ऊंचाई 14,000 फीट पर) से शुरू हुई और खारदुंग ला टॉप (समुद्र तल से ऊंचाई 17800 फीट पर) से डाउनहिल व लेह मार्केट पर खत्म हुई। इसमें प्रतिभागियों को अधिकतम में 16 घंटे में 72 किलोमीटर की दूरी पूरी करनी थी। मैराथन सुबह 3 बजे खारदुंग गांव से शुरू हुई। शाम 5 बजे खत्म हुई। उमेश ककीरवार 13 घंटे 19 मिनट तक लगातार दौड़ते रहे। केवल सिर्फ एक बार कपड़े बदलने के लिए बैठे। 280 धावकों में यह 94वें स्थान पर रहे।

राजनांदगांव
शहर के उमेश ककीरवार ने 17600 फीट की ऊंचाई पर बनी सबसे कठिन सबसे ऊंची सड़क पर कराई लद्दाख मैराथन को पूरा करते हुए 94 वां स्थान हासिल किया। यह मैराथन माइनस झ्र 4 डिग्री तापमान के बीच शुरू हुई दौड़ को उन्होंने 13 घंटे 19 मिनट में पूरा किया। इस मैराथन दौड़ में शामिल होने वाले छत्तीसगढ के एकमात्र धावक थे। 6 सितंबर को खारदुंगला चैलेंज (72 किमी) मैराथन दौड आयोजित हुई थी।

विश्व की सबसे ऊंची सड़क पर होने के कारण यह विश्व की सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण मैराथन में से एक है। पहले खारदुंग ला टॉप (32 किमी) जाना होता है व फिर वापस 40 किमी लौटना होता है। 72 किमी की इस दौड़ को उमेश ने 13 घंटे 19मिनट में पूरा किया। देश विदेश से 280 युवा धावक शामिल हुए थे। इनमें से 154 ही तय समय में दौड़ पूरी कर सके। मैराथन खारदुंग गांव ( ऊंचाई 14,000 फीट पर) से शुरू हुई और खारदुंग ला टॉप (समुद्र तल से ऊंचाई 17800 फीट पर) से डाउनहिल व लेह मार्केट पर खत्म हुई। इसमें प्रतिभागियों को अधिकतम में 16 घंटे में 72 किलोमीटर की दूरी पूरी करनी थी। मैराथन सुबह 3 बजे खारदुंग गांव से शुरू हुई। शाम 5 बजे खत्म हुई। उमेश ककीरवार 13 घंटे 19 मिनट तक लगातार दौड़ते रहे। केवल सिर्फ एक बार कपड़े बदलने के लिए बैठे। 280 धावकों में यह 94वें स्थान पर रहे।

 

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