विदेश

चीन ने स�परसोनिक क�रूज मिसाइल DF&100 की रेंज ब�ाई, क�रूज मिसाइल अब HLACM बना सकती

बीजिंग

17 नवंबर 2024 को सिर�फ भारत ने ही हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक�षण नहीं किया. बल�कि चीन ने अपनी स�परसोनिक क�रूज मिसाइल DF-100 यानी डॉन�गफेंग-100 का भी रेंज बढ़ा लिया. यह मिसाइल कहने को तो स�परसोनिक है, लेकिन चीन चाहे तो इसे हाइपरसोनिक लैंड अटैक क�रूज मिसाइल – HLACM बना सकती है.

HLACM यानी 4 हजार किलोमीटर तक 6100 km/hr की तेज गति से हमला करने वाली मिसाइल. इसकी सटीकता ही इसे सबसे ज�यादा घातक बनाती है. इसकी �क�यूरेसी 1 मीटर है. यानी टारगेट से सिर�फ �क मीटर ही इधर-उधर होगी. इससे ज�यादा नहीं. इसकी लॉन�चिंग के लि� चीन अपने H-6K बॉम�बर का इस�तेमाल भी करता है.

पहले चीन के इस मिसाइल की रेंज 2 से 3 हजार किलोमीटर थी. जिसे अभी चीन ने बढ़ाकर 4 हजार कर दिया है. इसे लॉन�च करने के लि� 10×10 ट�रांसपोर�टर इरेक�टर लॉन�चर का इस�तेमाल करते हैं. लेकिन बमवर�षक से भी लॉन�च की जा सकती है. अब यह मिसाइल 4700 km/hr की स�पीड से उड़ान भरते ह�� 4 हजार किलोमीटर तक जा सकती है.

सबसे आध�निक गाइडेंस सिस�टम से लैस

यह मिसाइल लॉन�च होने के बाद 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाती है, उसके बाद यह टारगेट की तरफ घूम जाती है. इसके उड़ान की ऊंचाई �सी रखी गई है ताकि इसे �टमॉस�फियरिक दबाव कम �ेलना पड़े. साथ ही राडार की पकड़ में न आ�. इसके गाइडेंस सिस�टम में इनर�शियल नेविगेशन है. टरेन मैचिंग, सीन मैचिंग और सैटेलाइट पोजिशनिंग जैसी स�विधा है. यानी द�श�मन टारगेट के बचने का कोई चांस ही नहीं.

सटीकता और हथियार ही बनाता है इसे खास

9 मीटर लंबी यह मिसाइल अपने साथ 0.7 से 1 मीटर व�यास और 500 किलोग�राम वजन वाले हथियार को ले जा सकती है. इस मिसाइल में रैमजेट इंजन लगा है, जो इसे 6100 किलोमीटर प�रतिघंटा की रफ�तार देता है. जैसे ही मिसाइल का वेपन ग�लाइड फेज में आता है ये तेज गति में भी दिशा और दशा बदल सकती है. इसकी वजह से इसे �यर डिफेंस सिस�टम इंटरसेप�ट नहीं कर पाते. यह चलते-फिरते टारगेट पर भी हमला कर सकती है.

अमेरिका-जापान के सैन�य अड�डे निशाने पर

पहले इसकी रेंज सिर�फ ताइवान, दक�षिण कोरिया, जापान, फिलिपींस जैसी जगहों तक ही थी. लेकिन रेंज बढ़ने के बाद अब यह ग�आम में मौजूद अमेरिकी सैन�य बेस पर भी हमला कर सकती है. यानी अमेरिका और जापान के दूसरे सैन�य अड�डों को भी इस मिसाइल से खतरा है. यह मिसाइल र�के ह�� और चलते ह�� किसी भी जहाज पर भी हमला कर सकती है. �से में पश�चिमी प�रशांत महासागर में इस मिसाइल का खतरा बना रहेगा.

 

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