नेता जितेंद�र आव�हाड ने कहा& गंगा&जम�नी तहजीब को तोड़ने की हो रही कोशिश

म�ंबई
राषà¥�टà¥�रवादी कांगà¥�रेस पारà¥�टी (शरदचंदà¥�र गà¥�ट) के नेता जितेंदà¥�र आवà¥�हाड ने मंगलवार को अजमेर शरीफ को लेकर जारी सियासी बहस पर अपनी बात रखी। उनà¥�होंने कहा, “यह बहà¥�त ही गंà¤à¥€à¤° और संवेदनशील मà¥�दà¥�दा है। सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि इस समय देश में जो माहौल बन रहा है। खासकर धारà¥�मिक सà¥�थलों, मंदिरों और मसà¥�जिदों के बीच, वह न सिरà¥�फ चिंताजनक है, बलà¥�कि हमारे समाज की बà¥�नियादी शकà¥�तियों को à¤à¥€ खतरे में डालने वाला है। जब से कà¥�छ लोगों ने सामाजâ€�िक सौहारà¥�द, परंपरा और गंगा-जमà¥�नी तहजीब को तोड़ने की कोशिश शà¥�रू की है, तब से समाज में गहरा विà¤à¤¾à¤œà¤¨ पैदा हो गया है। हम जिस देश में रहते हैं, वहां सैकड़ों वरà¥�षों से हिंदू, मà¥�सà¥�लिम, सिख, ईसाई और दूसरे धरà¥�मों के लोग à¤�क साथ रहते आà¤� हैं। हमारी संसà¥�कृति, हमारे रीति-रिवाज, हमारी परंपराà¤�ं, यही हमारी असली ताकत हैं। यह ताकत जो हमारे समाज को à¤�क सूतà¥�र में पिरोती है, अब उसे तोड़ा जा रहा है।â€�
उनà¥�होंने कहा, “अजमेर शरीफ दरगाह न केवल à¤�क धारà¥�मिक सà¥�थल है, बलà¥�कि à¤�क सांसà¥�कृतिक धरोहर है, जो हिंदू-मà¥�सà¥�लिम à¤�कता का पà¥�रतीक रहा है। महाराजा नटवर सिंह अपने पोते को लेकर दरगाह पर गà¤� थे, यह बहà¥�त बड़ा संदेश देता है कि हमारे बीच कोई अंतर नहीं है। धरà¥�म चाहे जो हो, सबका आदर करना हमारी संसà¥�कृति का हिसà¥�सा है। लेकिन अब जो कà¥�छ हो रहा है, वह बेहद दà¥�रà¥�à¤à¤¾à¤—à¥�यपूरà¥�ण है। इस समय जो धारà¥�मिक सà¥�थलों के सरà¥�वे हो रहे हैं, जैसे कि जामा मसà¥�जिद का सरà¥�वे, यह हमारी परंपराओं को चà¥�नौती देने जैसा है। यह केवल धारà¥�मिक सà¥�थलों तक सीमित नहीं है, बलà¥�कि हमारे संविधान की à¤à¥€ अवहेलना हो रही है।â€�
उनà¥�होंने कहा, “ धारà¥�मिâ€�क सà¥�â€�थलों के बारे में à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 1991 का कानून है, जो मंदिरों और मसà¥�जिदों की संरचना को वैसा ही बनाà¤� रखने की बात करता है, जैसा कि आजादी के समय था। जब तक उस संरचना में कोई बदलाव न हो, तब तक इसे उसी रूप में रखा जाà¤�। यह कानून हमारे संविधान और नà¥�यायालय के आदेश के तहत आया है। फिर à¤à¥€ अगर नà¥�यायालय इस पर फैसला कर रहे हैं, तो यह सीधे तौर पर हमारे संविधान की अवमानना है। हम संविधान की रकà¥�षा करने वाले हैं, न कि उसे कमजोर करने वाले।â€�
उनà¥�होंने कहा, “अब अगर हम राजनीति की बात करें, तो यह साफ है कि इस समय जो à¤à¥€ हो रहा है, वह केवल राजनीतिक लाठके लिà¤� किया जा रहा है। कà¥�या समाज को तोड़कर, à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ को कमजोर कर, किसी को कà¥�या मिलेगा? कà¥�या इससे देश की तरकà¥�की होगी? कà¥�या इससे à¤à¤¾à¤°à¤¤ का समà¥�मान बढ़ेगा? बिलकà¥�ल नहीं। इसका केवल à¤�क ही परिणाम होगा – सामाजिक ताना-बाना टूटेगा, और à¤�क दिन वह अपनापन, जो सदियों से चला आ रहा है, खो जाà¤�गा।â€�
उनà¥�होंने कहा, “अगर हम संविधान की बात करें, तो 1947 के बाद से जो सà¥�थिति थी, उसे बदलने का अधिकार किसी को नहीं है। अदालतों ने कई बार यह सà¥�पषà¥�ट किया है कि धारà¥�मिक सà¥�थलों की संरचना और उनके बीच की सामूहिकता को किसी à¤à¥€ रूप में तोड़ा नहीं जा सकता। जब 1991 का कानून बना था, तो उसका उदà¥�देशà¥�य था कि धारà¥�मिक सà¥�थलों की संरचना वैसी ही बनी रहे, जैसा पहले था। इस पर अगर कोई सवाल उठाता है, तो वह सिरà¥�फ समाज को नफरत और à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ की ओर धकेलने की कोशिश कर रहा है।â€�
उनà¥�होंने कहा, “आज जो राजनीति चल रही है, वह हमारे संविधान और गंगा-जमà¥�नी तहज़ीब को तोड़ने की दिशा में है। जब अदालतें यह कहती हैं कि जो सà¥�थिति थी, वही बनी रहनी चाहिà¤�, तो फिर इस पर किसी à¤à¥€ पà¥�रकार का विवाद कà¥�यों शà¥�रू करना चाहिà¤�? हम सब जानते हैं कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤�कता और à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ का कà¥�या महतà¥�व है। इस समय जो लोग गंगा-जमà¥�नी तहज़ीब को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वे केवल राजनीति और सà¥�वारà¥�थ के लिà¤� यह सब कर रहे हैं।â€�