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₹31,500 करोड़ की डील पर भारत का पलटवार, ट्रंप की जुबान में दिया जवाब – अमेरिका में मचा हड़कंप

नई दिल्ली

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के खिलाफ हाथ धोकर पड़ गए हैं. उन्होंने रूस से तेल आयात करने के कारण भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है. लेकिन, पूरी दुनिया को पता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का ये दोहरा रवैया है. अमेरिका और यूरोपीय देश खुद रूस से भारी मात्रा में तेल, गैस और फर्टिलाइजर खरीदते हैं. अमेरिका के इसी रवैये को भारत बार-बार दोहराता रहा है. यूरोपीय संस्था सीआरईए (सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर) ने भी एक खास रिपोर्ट में डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे की पोल खोल दी है.

खैर, अब भारत भी मन बना चुका है कि वह डोनाल्ड ट्रंप के इस दोगलापन के आगे नहीं झुकेगा. लंबे समय तक डोनाल्ड ट्रंप के बकवास पर चुप रहने के बाद भारत ने पिछले दिनों एक बयान जारी कर अपनी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी है. इसके साथ ही भारत ने एक्शन लेना भी शुरू कर दिया है.

भारत ने लिया बड़ा एक्शन

एक बड़ी डील रद्द कर दी है. दरअसल, भारत ने अपनी नौसेना के लिए अमेरिका की बोइंग कंपनी से छह पी-8I पोसेडन विमान खरीदने का सौदा किया था. ये विमान समंदर में निगरानी के लिए हैं. भारत के विशाल समुद्री क्षेत्र को देखते हुए नौसेना को ऐसे कई विमानों की जरूरत हैं. ये बेहद आधुनिक और उन्नत विमान हैं और अरब सागर से लेकर हिंद महासागर तक में चीन के बढ़ते प्रभाव पर नजर रखने के लिए इनकी बहुत जरूरत है. डिफेंस वेबसाइट आईडीआरडब्ल्यू की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने तीन अगस्त को सौदे को फिलहाल के लिए रोकने का फैसला कर लिया.

नौसेना के पास 12 विमान

भारतीय नौसेना के पास पहले से ही ऐसे 12 विमान है. भारत ने बोइंग से 2009 में ये विमान खरीदे थे. तब अमेरिका से इन विमानों को खरीदने वाला भारत पहला अंतरराष्ट्रीय खरीददार बना था. 2008 में पहले आठ विमानों का सौदा हुआ. उस वक्त इसकी लागत करीब 2.2 बिलियन डॉलर यानी करीब 19 हजार करोड़ रुपये आई थी. फिर 2016 में भारत ने ऐसे चार और विमान खरीदे. उस पर करीब 8500 करोड़ रुपये खर्च हुए.

नौसेना के लिए बेहद अहम हैं ये विमान

इसके बाद मई 2021 में अमेरिका ने भारत को ऐसे छह विमान बेचने को मंजूरी दे दी. इस सौदे पर करीब 2.42 अरब डॉलर (करीब 21 हजार करोड़ रुपये) की लागत आने वाली थी. यह सौदा ईस्टर्न नेवल कमांड के लिए था. लेकिन, बाद के दिनों लागत बढ़ने के कारण यह डील अटक गई. जुलाई 2025 तक इस सौदे की लागत बढ़कर 3.6 बिलियन डॉलर यानी करीब 31,500 करोड़ रुपये हो गई. बावजूद इसके भारत सरकार इस साल फिर से इस डील को फाइनल करने करने वाली थी. क्योंकि भारतीय नौसेना ने इस विमान को बेहतरीन बताया था. ये पी-8I पोसेडन विमान की क्षमता बेहद एडवांस है. इसमें एंटी शिप मिसाइल NASM-MR लगे है. इसकी रेंज 350 किमी है. यह हिंद महासागर में चीन के नौसैनिक गतिविधियों पर पैनी नजर रखने में बेहद कारगर है. लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ वार के कारण भारत ने इस सौदे पर रोक लगा दी है.

अगर इस डील को पूरी तरह रद्द की जाती है तो यह अमेरिकी कंपनी बोइंग के लिए बड़ा झटका साबित होगी. बोइंग ने भारत में करीब पांच हजार लोगों को रोजगार दिया है. वह भारत की अर्थव्यवस्था में 1.7 बिलियन डॉलर यानी करीब 15 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करती है.

इस डील को रोके जाने से भारतीय नौसेना की ताकत पर असर पड़ सकता है. इन विमानों का भारत के समुद्री क्षेत्र में सैकड़ों नौसैनिक जहाजों और 20 हजार मर्चेंट जहाजों पर निगरानी में किया जाता है. हालांकि भारत खुद अपना निगरानी विमान बना रहा है. पी-8I पोसेडन को खरीदने में भारी लागत को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत अपने स्वदेसी विमान को प्राथमिकता दे सकता है. डीआरडीओ और एचएएल ऐसे विमान विकसित कर रहे हैं.

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