बेंगलुरु
कावेरी नदी के पानी को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच विवाद बरकरार है। इन सब के बीच कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने शनिवार को गंगा आरती की तर्ज पर कावेरी आरती शुरू करने की घोषणा की। केआरएस वृंदावन गार्डन के अपग्रेड के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा, “हम गंगा आरती की तर्ज पर कावेरी आरती करने की कोशिश कर रहे हैं। यह पूरी तरह से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए है।” उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने केआरएस वृंदावन गार्डन को नया रूप देने की योजना को मंजूरी दे दी है।
विपक्ष द्वारा सरकार पर लगाए गए पैसे की बर्बादी के आरोपों पर उपमुख्यमंत्री ने कहा, “उनके आरोप झूठे हैं। यह परियोजना मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की पिछली सरकार के दौरान प्रस्तावित की गई थी। जब केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे और मैं सिंचाई मंत्री था, तब इस परियोजना की घोषणा बजट में की गई थी।” उन्होंने कहा कि यह परियोजना निजी-सार्वजनिक भागीदारी के साथ शुरू की जाएगी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, “सरकार कोई निवेश नहीं कर रही है। इससे पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा। गंगा आरती की तरह ही हम कावेरी आरती कार्यक्रम भी आयोजित करेंगे, जिसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है।” बता दें कि 1991 में वाराणसी में गंगा आरती शुरू हुई थी। शुरू में आरती इतनी भव्य नहीं थी, लेकिन समय के साथ अब हजारों-लाखों की संख्या में लोग देश-विदेश से गंगा आरती देखने के लिए वाराणसी पहुंचते हैं। कुछ ऐसी ही उम्मीदों के साथ उपमुख्यमंत्री चाहते हैं कि कावेरी आरती हो, ताकि पर्यटन और रोजगार बढे़।
इससे पहले उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि केआरएस जलाशय पर कावेरी आरती कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी में प्रसिद्ध गंगा आरती की तरह होगा। लंबित ग्रेटर बेंगलुरु बिल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सभी विधायकों ने कहा है कि इस मामले पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। उपमुख्यमंत्री ने कहा, “संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के चलते हमें बेंगलुरु को प्रभावी शासन प्रदान करने की आवश्यकता है। सभी दलों के विधायकों की एक बैठक बुलाई गई है और जल्द ही एक समिति बनाई जाएगी। हम विपक्षी दलों के सुझावों को स्वीकार करेंगे।”