नेहा जोशी मनोरंजन उद्योग में एक जाना-माना नाम है और उन्हें कई हिन्दी और मराठी फिल्मों एवं टेलीविजन शोज में अलग-अलग तरह की भूमिकायें निभाने के लिये जाना जाता है। उन्होंने अपने दमदार परफाॅर्मेंस एवं अलग-अलग तरह के किरदारों से लाखों दर्शकों का दिल जीता है और उन्हें अपना प्रशंसक बनाया है। वह अब एण्डटीवी के नये शो ‘अटल‘ में कृष्णा देवी वाजपेयी का किरदार निभाती नजर आयेंगी। यह शो स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन की अनकही कहानियों पर आधारित है। हाल ही में हुई बातचीत के दौरान नेहा जोशी ने अपने किरदार, चुनौतियों एवं अभिनय के अपने कॅरियर से जुड़ी दूसरी बातों पर चर्चा की। प्रस्तुत है उसके प्रमुख अंश:
1ण् ‘अटल‘ में अपने किरदार के बारे में हमें बतायें।
मैं अटल की मां कृष्णा देवी वाजपेयी का किरदार निभा रही हूं। वह अटूट समर्पण वाली एक असाधारण महिला है। इतिहास और राजनीति में गहन रुचि के बावजूद, कृष्णा देवी बड़ी ही सहजता से अपने पति, वाजपेयी जी की एक समर्पित सहयोगी बनीं। अपने परिवार में सौहार्द्र बनाये रखना और अपने पति के फैसलों के साथ मजबूती से खड़े रहना उनकी जिंदगी का उद्देश्य है। चट्टान की तरह पक्के इरादों और गहरी धार्मिक आस्था के साथ, वह ब्रिटिशराज का चुपचाप विरोध करती हैं और भारत की स्वाधीनता की चाहती हैं। कृष्णा देवी वह आधार हैं, जिसने उनके बेटे अटल को ढाला। उन्होंने अटल को एक दृढ़ नजरिया दिया और ऊंच-नीच एवं भेद-भाव पर सवाल उठाने का स्वाभाविक रुझान भी उन्हें अपनी मां से मिला। वह भले ही दुनिया को अपने विचार नहीं बता सकीं, लेकिन अपने प्यारे देश भारत को स्वतंत्र कराने की वास्तविक इच्छा उनमें थी। अपने परिवार के लिये उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता, ब्रिटिशराज के दमन के विरुद्ध उनकी अनकही ललकार और अपने बेटे को एक अच्छा नागरिक बनाने में उनकी प्रभावी भूमिका कृष्णा को एक बेजोड़ किरदार बनाती है।’’
2 आपने पर्दे पर पहले भी मां के कई किरदार निभाये हैं। इस रोल में ऐसी क्या बात है, जो इसे उन किरदारों से अलग बनाती है? क्या बार-बार एक ही तरह का किरदार निभाना नीरस नहीं हो जाता?
शो में अपनी माँ के साथ अटल के गहरे सम्बंधों को दिखाया जाएगा, जिन्होंने उनकी धारणाओं, मूल्यों और चिंतन को गहराई से प्रभावित किया था। एक ओर भारत ब्रिटिशराज में गुलामी का सामना कर रहा था और दूसरी ओर देश आंतरिक कलह एवं धन, जाति तथा भेदभाव के विभाजन से जूझ रहा था। अखण्ड भारत का जो सपना अटल की माँ ने देखा था, उसे उन्होंने अपने दिल की गहराइयों में उतार लिया। इस शो में अटल बिहारी वाजपेयी की प्रेरक कहानी दिखाई जाएगी, जिन्होंने अपने विनम्र स्वभाव के साथ शुरूआत की और फिर एक दिन भारत के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक बने।
आप सही कह रहे हैं। बार-बार एक ही तरह के किरदार निभाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, बतौर ऐक्टर मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है कि मैं हर किरदार में उसकी खासियत खोजूं, भले ही वो एक ही तरह के क्यों न हों। समान भूमिकायें आपको उन किरदारों की बारीकियां ढूंढने और अलग पहलुओं को सामने लाने का मौका देती हैं। इस तरह, मैं अपने परफाॅर्मेंसेस को एकदम तरोताजा और दिलचस्प बनाये रख सकती हूं। मैं इस बात का भी ध्यान रखती हूं कि दर्शकों को मेरे किरदारों की समानताओं के बावजूद कुछ नया रोमांचक देखने को मिले।
3. यह एक वास्तविक किरदार है, आपने इसकी तैयारी कैसे की और आपको किस तरह की चुनौतियाँ या मौके मिले?
सच कहूं तो असली जिन्दगी से जुड़ा कोई किरदार निभाने में चुनौती और फायदा, दोनों मिल सकते हैं। मुश्किलें तरह-तरह की हो सकती हैं और यह किरदार की पेचीदगी और शोध की गहराई पर निर्भर करता है। शख्सियत की बारीकियों, तौर-तरीकों, भावनात्मक सटीकता, बोल-चाल आदि को समझने में चुनौती हो सकती है। लेकिन असली इंसान और उसकी कहानी के साथ न्याय करने की जिम्मेदारी भी बड़ी कठिन, लेकिन फायदेमंद हो सकती है। हालांकि, इससे किरदार की जिन्दगी में उतरने, उसके प्रति संवेदना बनाने और उसके अनुभवों को दर्शकों तक पहुँचाने का मौका मिलता है। इसमें कलाकार अपनी विविधता दिखा सकते हैं। रचनात्मक व्याख्या के साथ असलियत का संतुलन रखना महत्वपूर्ण होता है। कुल मिलाकर, असल जिन्दगी के किरदार निभाने की अनूठी चुनौतियाँ होती हैं और जब उन्हें प्रभावी तरीके से निभाया जाता है, तब दर्शकों के साथ दमदार रिश्ता बनाने का मौका मिलता है। इस भूमिका की तैयारी के लिए हमने गहन शोध किया और कई वर्कशाॅप्स भी की, जिससे मुझे काफी मदद मिली। शोधकर्ता और लेखक ने कृष्णा वाजपेयी की शख्सियत और मान्यताओं के विभिन्न पहलुओं को बताने में मेरा मार्गदर्शन किया, जिसके कारण मैं एक इंसान और उसके जीने के तरीके के तौर पर उन्हें बेहतर समझ सकी। और मैंने इस शो में उन पहलुओं को दिखाने के लिये अपनी सबसे अच्छी कोशिश की है। इसमें हमने बहुत कड़ी मेहनत की है और काफी तैयारियां भी की हैं।
4. कम उम्र में ही एक माँ का किरदार निभाकर कैसा लगता है? इस चैनल के साथ आपका यह तीसरा प्रोजेक्ट है, जिसमें आप एक माँ बनी हैं। क्या आपको लगता नहीं कि ऐसी ही भूमिकाएं बार-बार मिल सकती हैं?
इस प्रोजेक्ट में एक माँ की भूमिका निभाना मेरे लिये वाकई मायने रखता है। इस किरदार से मैंने एक महिला की जिन्दगी की मुश्किलों और मातृत्व की यात्रा को गहराई से समझा है। मैं इस चैनल पर तीसरी बार एक माँ की भूमिका निभा रही हूँ, लेकिन इसे टाइपकास्टिंग की चिंता के बजाए एक मौके के तौर पर देखती हूँ। मैं जो भी किरदार निभाती हूँ, चाहे वह माँ का हो, अपने आप में अनोखा होता है। मातृत्व ही अपने आप में एक बहुत ही अलग और अद़भुत है, जिसके बारे में बताने के लिये अनगिनत कहानियाँ हैं। हर भूमिका के साथ मैं मातृत्व के विभिन्न पहलुओं को खोजती हूँ, चुनौतियों से लेकर खुशियों और संघर्षों से लेकर जीत पाने तक। एक एक्टर होने के नाते मैं अपने हर किरदार में वास्तविकता और गहराई लाना चाहती हूं और इससे सुनिश्चित होता है कि मेरे द्वारा निभाया गया हर माँ का किरदार दूसरों से अलग हो। मुझे हर भूमिका के साथ नया नजरिया और अनूठी शख्सियत लेकर आने पर भरोसा है, जिससे टाइपकास्टिंग को रोकने में मदद मिलती है। यह एक कलाकार के तौर पर मेरी वर्सेटिलिटी का सबूत है और मैं इन मौकों के जरिये अपनी कला को विकसित करते रहने के लिये रोमांचित हूँ।
5. आपने अभी तक एक ही चैनल पर काम किया है। क्या इसका कोई खास कारण है? और खुद को एक ही चैनल से जोड़कर क्यों रखना चाहती हैं?
मैंने इस चैनल के बाहर कोई नये प्रोजेक्ट नहीं लिये हैं, जिसका कारण समय और प्राथमिकताएं हैं। इस चैनल ने मुझे रोमांचक और चुनौती वाली भूमिकाएं दी हैं, जिनको लेकर मुझमें जुनून है। एक कलाकार के तौर पर मुझे अपने प्रोजेक्ट्स को लेकर सिलेक्टिव होना चाहिये, ताकि वे कलाकार के रूप में मेरे लक्ष्यों के मुताबिक हों और मुझे बढ़ने का मौका दें। इसके अलावा, इस चैनल के साथ मेरे जुड़े रहने से उनकी टीम के साथ मेरा मजबूत रिश्ता बना है, जिससे रचनात्मक सहकार्य और संचार बेहतर होता है। इससे हमें एक-दूसरे के साथ ज्यादा प्रभावी तरीके से मिलकर काम करने में लगातार मदद मिलती है और मुझे इस चैनल के पास मौजूद बेहतरीन स्टोरीटेलिंग की क्षमता पर भरोसा है। मैं इस चैनल पर फोकस कर रही हूँ, लेकिन भविष्य में ऐसे प्रोजेक्ट करने के लिये भी तैयार हूँ, जो एक कलाकार के तौर पर मेरे सपने और शेड्यूल के मुताबिक हों। इसका मतलब है अपने लिये उपलब्ध ज्यादा से ज्यादा मौकों को लपकना और दर्शकों को अपना बेस्ट देना।
6. आपके दिमाग में कोई ऐसा ड्रीम रोल है, जिसे आप निभाना चाहती हैं?
मैं महिलाओं पर केन्द्रित, गंभीर और दमदार किरदार निभाना चाहती हूँ। मैंने ऐसी भूमिका निभाने का सपना देखा है, जो न सिर्फ मजबूत हो, बल्कि गहरी समानुभूति वाला भी हो और जिन्दगी की चुनौतियों का पूरी दृढ़ता तथा चतुराई से सामना करे, और जो दर्शकों पर लंबे समय तक अपना असर बनाए रखे। मेरा ड्रीम रोल है ऐसी महिला का किरदार निभाना, जो ताकत का प्रतीक हो और आॅफिशियल रोल्स में महिलाओं के अमूल्य योगदानों को सराहने तथा सम्मान देने में समाज को प्रेरित करने वाला बदलाव करे। इस किरदार के जरिये मैं महिलाओं के भीतर की आग को चिंगारी देना चाहती हूँ। मैं उन्हें लगातार अपने सपनों को साकार करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहती हूँ, चाहे उनके रास्ते में कोई भी अड़चनें आएं।
7. आप एक बार फिर एक महान शख्सियत की माँ का किरदार निभा रही हैं। इससे पहले भी आपने एक प्रमुख नेता की माँ का किरदार निभाया था। इनमें क्या अंतर है और इस बारे में आपकी क्या राय है?
एक महान शख्सियत की माँ का किरदार मैं पहले भी निभा चुकी हूँ और इसका अनुभव हमेशा अनोखा होता है। मैं जब भी ऐसी भूमिका लेती हूँ, कुछ अलग एलीमेंट्स होते हैं, जो उसे खास बनाते हैं। इस बार भी मैं एक प्रमुख नेता की माँ का किरदार अदा कर रही हूँ, जिसके पास अपनी चुनौतियाँ और भावनात्मक गहराई है। यह भूमिका मेरे लिये बड़ी जिम्मेदारी और सम्मान लेकर आई है। एक उल्लेखनीय व्यक्तित्व के जीवन की मार्गदर्शक और उसे प्रभावित करने वाली की भूमिका निभाना सम्मानजनक है। और मैं इसे एक नेता पर मातृत्व और माँ के सहयोग के प्रभाव में गहराई से उतरने के मौके के तौर पर देखती हूँ। मैं इस किरदार को प्रामाणिक और भावनात्मक बनाना चाहती हूं। मैं अपने प्रभावी चित्रण से इसे एक यादगार और प्रभावी किरदार बनाना चाहती हूँ, जो कहानी को और दमदार बनाए।