मध्यप्रदेश

�मवी� की महाराष�ट�र में करारी हार से टूटा सरकार बनाने का सपना, तीनों घटक दल 29 विधायकों के आंकड़े रह ग� दूर

म�ंबई
महाराष�ट�र विधानसभा च�नावों में बीजेपी के अग�वाई वाले महाय�ति की प�रचंड जीत में कांग�रेस को ग�जरात वाली चोट मिली है। 2022 के ग�जरात विधानसभा च�नावों कांग�रेस सिर�फ 17 सीटें जीत पाई थी। इसके बाद राज�य की सत�ता में 25 साल से बाहर कांग�रेस के हाथों से नेता विपक�ष का पद भी चला गया था। महाराष�ट�र च�नाव के नतीजों में भी क�छ �सी स�थिति उभरी है। विपक�ष गठबंधन महाविकास आघाड़ी (�मवी�) को कोई भी घटक जरूरी 29 सीटों के आसपास पह�ंचता नहीं दिख रहा है। नियमान�सार संसद और विधानसभा में नेता विपक�ष के लि� 10 फीसदी सीटों का होना आवश�यक है। महाराष�ट�र में कम से 29 सीटों होनी चाहि�। कांग�रेस को 25 सीटों के अंदर सिमटती गई है। �से में सवाल खड़ हो गया है कि जिस महाविकास आघाड़ी में सी�म बनने के लि� लड़ाई थी। उसके घटक दल नेता विपक�ष की हैसियत भी नहीं रख पा�।

ग�जरात को बनाया था म�द�दा
महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने विधानसभा च�नावों में महाराष�ट�र से ग�जरात की तरफ निवेश, कारखाने और नौकरियां जानें को च�नावी म�द�दा बनाया था, लेकिन �मवी� का यह दांव उल�टा पड़ा। महाय�ति को 220 से अधिक सीटें मिलती दिख रही है तो वहीं �मवी� 50 के आसपास सिमट गया है। राह�ल गांधी लोकसभा च�नावों में कांग�रेस के 99 सीटें हासिल करने के बाद नेता विपक�ष बन पा� थे। लोकसभा में 13 सीटें जीतने वाली कांग�रेस की यह द�र�गति होगी यह शायद किसी ने नहीं सोचा था। ग�जरात के बाद कांग�रेस महाराष�ट�र में भी कमजोर स�थिति में पह�ंच गई है। महाराष�ट�र में कांग�रेस ने 102 सीटों पर च�नाव लड़ा था।

आखिर में कांग�रेस को मिला था पद
2019 के विधानसभा च�नावों में बीजेपी सबसे बड़ी बनी थी। से 105 सीटों पर जीत मिली थी। दूसरे नंबर पर उद�धव ठाकरे की शिवसेना और फिर तीसरी नंबर पर �नसीपी रही थी। शिवसेना और �नसीपी के टूटने के बाद कांग�रेस को राज�य में नेता विपक�ष का पता मिला था। जब राज�य में शिंदे सी�म बने थे तो पहले संख�याबल के हिसाब से �नसीपी को यह पद मिला था और अजित पवार नेता विपक�ष बने थे। �नसीपी के टूटने के बाद कांग�रेस सबसे बड़ी पार�टी हो गई थी। तब विजय वडेट�टीवार नेता विपक�ष बने थे। वह 1 साल 112 दिनों तक नेता विपक�ष रहे। 2024 के च�नावों में कांग�रेस का प�रदर�शन इतना खराब रहा कि वह नेता विपक�ष की क�र�सी भी नहीं बचा पाई।

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