म�ंबई
शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने महाराष�ट�र की नई सरकार में पार�टी के लि� गृह विभाग की मांग रखी है। उन�होंने दावा किया कि कार�यवाहक म�ख�यमंत�री �कनाथ शिंदे को दरकिनार करने की कोशिश की जा रही है। शिरसाट ने कहा कि शिंदे की सकारात�मक छवि और उनकी श�रू की गई योजनाओं पर गौर करने के बाद कहा जा सकता है कि उन�हें सी�म के तौर पर ढाई साल और मिले होते तो वह और ज�यादा योगदान देते। औरंगाबाद पश�चिम विधानसभा सीट का प�रतिनिधित�व करने वाले विधायक ने कहा, ‘गृह विभाग शिवसेना को मिलना चाहि�। यह विभाग आमतौर पर उपम�ख�यमंत�री के पास होता है। अगर म�ख�यमंत�री गृह विभाग को संभालते हैं तो यह सही नहीं है।’ निवर�तमान सरकार में गृह विभाग देवेंद�र फडणवीस के पास है।

संजय शिरसाट का बयान महाय�ति के सहयोगी दल भाजपा, शिवसेना और राष�ट�रवादी कांग�रेस पार�टी के बीच मतभेद को उजागर करता है। महाय�ति ने महाराष�ट�र विधानसभा च�नाव में 288 में से 230 सीट जीतकर शानदार प�रदर�शन किया। विधानसभा च�नाव में भाजपा ने 132, शिवसेना ने 57 और �नसीपी ने 41 सीट जीती हैं। कार�यवाहक म�ख�यमंत�री शिंदे का कहना है कि वह अगले म�ख�यमंत�री के नाम के लि� भाजपा नेतृत�व के फैसले का पूरी तरह से समर�थन करेंगे और कोई र�कावट पैदा नहीं करेंगे। शिवसेना के सूत�रों के अन�सार, पार�टी ने सरकार के गठन को लेकर कि� ग� विचार-विमर�श के दौरान गृह विभाग की मांग की।

‘संख�या बल के आधार पर म�ख�यमंत�री पद की मांग’
सूत�रों ने कहा कि भाजपा अपने संख�या बल के आधार पर म�ख�यमंत�री पद मांग रही है और शिवसेना इससे खफा है। शिरसाट ने कहा, ‘शिंदे को महाय�ति सरकार का चेहरा बनाकर भाजपा को निश�चित रूप से फायदा ह�आ। भाजपा या �नसीपी, मराठा आरक�षण के आंदोलनकारियों को मनाने के प�रयास में शामिल नहीं थी। शिंदे ने ही इसका जिम�मा लिया। उन�होंने मराठा आरक�षण भी दिया, इसलि� उनके लि� समर�थन कई ग�ना बढ़ गया।’ उन�होंने कहा कि कल�याणकारी योजना�ं पहले भी थीं, लेकिन शिंदे ने उन�हें नया जीवन दिया। शिरसाट ने आरोप लगाया कि राकांपा प�रम�ख अजित पवार ने महिलाओं के लि� श�रू की गई ‘म�ख�यमंत�री मा�ी लाडकी बहिन योजना’ का विरोध किया था, लेकिन सरकार ने इस योजना को आगे बढ़ाया और इसका असर च�नाव में भी देखा।

शिवसेना नेता ने कहा कि म�ख�यमंत�री के रूप में �कनाथ शिंदे की आम आदमी वाली छवि लोगों को काफी पसंद आई। उनके लि� गद�दार जैसे शब�दों का इस�तेमाल कि� जाने के बावजूद उन�होंने मजबूती के साथ ख�द की पहचान स�थापित की। उन�होंने कहा, ‘इससे पूरे महाय�ति को फायदा ह�आ। उन�होंने सबसे ज�यादा रैलियां कीं। इसे देखते ह�� कहा जा सकता है कि अगर उन�हें ढाई साल और मिलते तो वह राज�य के लि� और ज�यादा योगदान देते।’

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