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मिडिल ईस�ट में सीरिया के बड़े शहर अलेप�पो पर सरकार विरोधी विद�रोहियों हयात तहरीर अल&शाम ने कब�ज़ा कर लिया

सीरिया
मिडिल ईस�ट में सीरिया के बड़े शहर अलेप�पो पर सरकार विरोधी विद�रोहियों हयात तहरीर अल-शाम ने कब�ज़ा कर लिया है। इन विद�रोहियों ने �क हफ�ते से भी कम समय में सीरियाई सेना को घ�टनों पर ला दिया। सीरिया को इन विद�रोहियों को पीछे धकेलने के लि� रूसी सेना की मदद लेनी पड़ी, लेकिन फिर भी पलड़ा विद�रोहियों का ही भारी लग रहा है। तहरीर अल-शाम सीरिया में इस�लामिक कानून चाहता है, इसका अभी सीरिया से बाहर �सा क�छ करने का इरादा नहीं है। आठ साल पहले सीरिया को इसे हराने के लि� रूस और ईरान की मदद लेनी पड़ी थी। इजरायल भी इस आतंकी ग�र�प को अपने लि� खतरा मानता है। ये आतंकी यहूदियों को अपना द�श�मन मानते हैं। इस लिहाज से सीरिया में इनकी बढ़त इजरायल के लि� खतरे की घंटी भी है। इन विद�रोहियों का सरदार है- अबू म�हम�मद अल-जोलानी। अबू म�हम�मद अल-जोलानी के सिर पर अमेरिकी सरकार ने 10 मिलियन डॉलर का ईनाम रखा है। इसके बावजूद उसका और उसकी विद�रोही सेना का उत�तर-पश�चिम सीरिया के महत�वपूर�ण इलाकों पर कब�जा है। जोलानी उत�तर-पश�चिमी सीरिया में बशर अल-असद शासन के खिलाफ आंदोलन का म�ख�य नेता है और अलेप�पो प�रांत के कई क�षेत�रों पर उसका नियंत�रण है। यह इलाका सीरियाई गृहय�द�ध से विस�थापित ह�� लगभग 30 लाख लोगों का घर है और इसे सरकार विरोधी आंदोलन का गढ़ माना जाता है।

कौन है जोलानी
आठ साल बाद फिर से सीरिया गृह य�द�ध की चपेट में है। सप�ताह भर पहले आश�चर�यजनक रूप से सीरिया के भीतर विद�रोही ग�ट उभर आ� हैं और बशर अल-असद की सरकार को जड़ से उखाड़ने के लि� आत�र हैं। बीबीसी मॉनिटरिंग के म�ताबिक, जोलानी का असली नाम, जन�मतिथि और जन�म स�थान और नागरिकता को लेकर �क नहीं कई जानकारियां हैं। संय�क�त राष�ट�र की रिपोर�ट के म�ताबिक, जोलानी का जन�म 1975 से 1979 के बीच ह�आ था, जबकि इंटरपोल के म�ताबिक, उनकी जन�मतिथि 1975 है।

अमेरिकी टीवी नेटवर�क पीबी�स के अन�सार, उसका असली नाम अहमद ह�सैन है। चैनल को दि� इंटरव�यू में उसका बताया था कि उसका जन�म 1982 में सऊदी अरब की राजधानी रियाद में ह�आ था, जहां उनके पिता पेट�रोलियम इंजीनियर के तौर पर काम करते थे। 1989 में, उसका परिवार सीरिया लौट आया और उनका पालन-पोषण दमिश�क के पास ह�आ। क�छ रिपोर�टों के अन�सार, उसने दमिश�क में मेडिकल की पढ़ाई की, लेकिन पढ़ाई के दौरान ही वह अलकायदा के संपर�क में आ गया। वह 2003 में अमेरिका पर हमले का भी जिम�मेदार था।

अलकायदा से इस�लामिक स�टेट में रहा
�सा कहा जाता है कि वह जल�द ही इराक में अल-कायदा के नेता अबू म�साब अल-जरकावी का करीबी सहयोगी बन गया, लेकिन 2006 में अल-जरकावी की मृत�य� के बाद, वह लेबनान चला गया, जहां उसने लेबनानी आतंकवादी समूह ज�ंद अल-शाम के आतंकियों को ट�रेनिंग दी। उसके बाद उसके इराक लौटने की खबरें हैं जहां उसे अमेरिकी सेना ने गिरफ�तार कर लिया और क�छ समय तक जेल में रहने के बाद जब 2008 में रिहा किया गया तो वह तथाकथित इस�लामिक स�टेट में शामिल हो गया।

13 साल पहले सीरिया लौटा
क�छ रिपोर�टों के अन�सार, जोलानी अगस�त 2011 में सीरिया लौट आया और राष�ट�रपति बशर अल-असद से लड़ने के लि� अल-कायदा की �क शाखा खोली। हालांकि, �क लेबनानी अखबार का दावा है कि जोलानी वास�तव में इराकी नागरिक हैं और उसका नाम फाल�जा के अल-ज�लान नामक क�षेत�र के नाम पर रखा गया है और वह उसी क�षेत�र का है।

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