Category: dharm

लोहार्गल जहां पानी से गल गए थे पांडवों के अश्त्र शस्त्र

राजस्थान के शेखावटी इलाके के झुंझुनूं जिले से 70 कि. मी. दूर अरावली पर्वत की घाटी में बसे उदयपुरवाटी कस्बे से करीब दस कि.मी. की दूरी पर स्थित है लोहार्गल।…

राधा और रुक्मणी दोनों ही लक्ष्मी का प्रारूप है परंतु जहां रुक्मणी देहिक लक्ष्मी हैं वहीं दूसरी ओर राधा आत्मिक लक्ष्मी हैं।

चराचर जगत में रुक्मिणी और राधा का संबंध श्रीकृष्ण से है। संसार रुक्मिणी जी को श्रीकृष्ण की पत्नी और राधा जी को श्रीकृष्ण की प्रेमिका के रूप में मानता है।…

अर्जुन ने कृष्ण से कहा कि क्यों कर्ण को दानवीर कहा जाता है और उन्हें नहीं। जबकि दान हम भी बहुत करते हैं।

एक बार भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन कहीं जा रहे थे, तभी बातों बातों में अर्जुन ने कृष्ण से कहा कि क्यों कर्ण को दानवीर कहा जाता है और उन्हें…

नर्मदे हर के जयघोष के साथ परिक्रमा पर निकले हजारों श्रद्धालु

राजघाट से पंचकोशी परिक्रमा यात्रा शुरू मानस टुडे ब्यूरो रिपोर्ट बड़वानी. शहर के समीप नर्मदा बेकवाटर किनारे से हजारों श्रद्धालुओं ने पांच दिवसीय नर्मदा परिक्रमा शुरू की। अलग सुबह से…

 रसिक बनना है, भक्त बनना है तो संतों का और वैष्णवों का संग अवश्य करना पड़ेगा।

हम कितना भी भजन कर लें, ध्यान कर लें लेकिन हमारा संग यदि गलत है तो सुना हुआ, पढ़ा हुआ, और जाना हुआ कुछ भी ज्ञान आचरण में नहीं उतर…

राम अनादि ब्रह्म ही हैं। अनेका नेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है।

वास्तव में राम अनादि ब्रह्म ही हैं। अनेका नेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है। राम नाम के इस अत्यंत प्रभावी एवं विलक्षण दिव्य…

शिवमहापुराण श्रीरुद्र संहिता – पंचम खण्ड ‼️सत्ताईसवाँ अध्याय‼️ “शंखचूर्ण की उत्पत्ति”

“शंखचूर्ण की उत्पत्ति” सनत्कुमार जी बोले ;– हे महामुने! शंखचूर्ण नाम का एक दैत्य था। जिसका वध भगवान शिव ने स्वयं अपने हाथों से त्रिशूल मारकर किया था। अब मैं…

संसार मे जहां भी परमात्मा की कथा-प्रवचन और गुणगान होता है, वहां पर भगवान स्वयं सूक्ष्म रूप में उपस्थित होकर कथा श्रवण करते है। ग्रंथ व पुराण इसकी पुष्टि करते हैं।

परमात्मा की कथा और संतो का सान्निध्य तब ही प्राप्त होता है जब हमारे भाग्य उदय होते हैं और पुण्य जाग्रत होते है, भागवत् में लिखा हैं कि एक जन्म…

केवल मनुष्य एक ऐसा प्राणी है, जो अपने व्यवहार में परिवर्तन कर सकता है,

केवल मनुष्य एक ऐसा प्राणी है, जो अपने व्यवहार में परिवर्तन कर सकता है, मनुष्य भटका हुआ देवता है, यदि उसे सही राह पर चलाने के लिए कोई कुशल गाइड…