आर्मी में कुछ वक्त से रीस्ट्रक्चरिंग (ढांचागत बदलाव) की प्रक्रिया चल रही है। इसे टूथ टू टेल रेशियो ठीक करना कहा जाता है।

आर्मी में कुछ वक्त से रीस्ट्रक्चरिंग (ढांचागत बदलाव) की प्रक्रिया चल रही है। इसे टूथ टू टेल रेशियो ठीक करना कहा जाता है।
 

इंडियन आर्मी में सामान और सर्विस की आउटसोर्सिंग किस तरह से होगी, इसके लिए नए मानक जारी किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) ने आर्मी से कहा है कि अभी क्या-क्या सर्विस आउटसोर्स की जा रही है उसकी एक लिस्ट जल्दी नोटिफाई की जाए ताकि सभी को इसकी जानकारी हो। आर्मी किन नई सर्विस को आउटसोर्स कर सकती है यह लिस्ट आर्मी के वाइस चीफ और इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल अडवाइजर (आईएफए) के अप्रूवल के बाद जारी की जाएगी।

आर्मी में कुछ वक्त से रीस्ट्रक्चरिंग (ढांचागत बदलाव) की प्रक्रिया चल रही है। इसे टूथ टू टेल रेशियो ठीक करना कहा जाता है। टूथ टू टेल रेशियो सैन्य कार्रवाइयों में भाग लेने वाले और उनके लिए रसद आदि पहुंचाने वाले सैनिकों के बीच के अनुपात को कहा जाता है। अगर टेल यानी सीधी सैन्य कार्रवाई में भाग न लेने वाले सैनिकों की तादाद ज्यादा होगी तो असल सैन्य कार्रवाइयों के लिए जरूरी सैनिकों की तादाद में कमी आती जाएगी। इसलिए अगर सैन्य कार्रवाइयों के लिए जरूरी सैनिकों की संख्या ज्यादा रखनी है तो टेल को कम करना होगा।

संसद की रक्षा मामलों की स्टैंडिंग कमिटी को सीडीएस ऑफिस की तरफ से बताया गया था कि लॉजिस्टिक टेल को कम करने की दिशा में काम हो रहा है और लॉजिस्टिक टेल को कम करने के लिए कई चीजें आउटसोर्स करेंगे। इसमें उदाहरण दिया था कि जिस कंपनी की गाड़ी आर्मी में इस्तेमाल की जा रही है उन्हें अपने वर्कशॉप में रिपेयर करने की बजाय कंपनी के वर्कशॉप से रिपेयर कराया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक आर्मी का फोकस आउटसोर्सिंग पर है। अब डीएमए ने जो नॉर्म्स बनाए हैं उसमें कहा गया है कि आर्मी कोर फंक्शन को आउटसोर्स नहीं कर सकती है। कौन सी एरिया हैं जिन्हें कोर फंक्शन माना जाएगा यह आर्मी के वाइस चीफ तय करेंगे। अगर किसी नई सर्विस को आउटसोर्स करना है तो इसके लिए वाइस चीफ की अप्रूवल लेनी होगी और प्रिंसिपल इंट्रीगेटेड फाइनेंशियल अडवाइजर की स्वीकृति भी जरूरी होगी। इसमें कहा गया है कि मौजूदा सर्विस जो आउटसोर्स हो रही हैं वह उसी हिसाब से चल सकती हैं। इसे कमांड में लागू करना कमांड हेडक्वॉर्टर के विवेक पर निर्भर होगा। सरकार को आउटसोर्सिंग से क्या फायदा हुआ इसका अनुमान लगाने के लिए रक्षा मंत्रालय में सालाना रिपोर्ट भी जमा की जाएगी।

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