देव भूमि भारत का महत्व बताने : वंदे मातरम गाएँगे विदेशी मेहमान
भारतीय ध्यान योग के लाभ का प्रचार करने विदेशों से आए सहजयोगी: देशभर में दे रहे कला और संगीत की प्रस्तुति
सहजयोग इन्दौर,भारतीय ध्यान पद्धति-सहजयोग के लाभ का प्रचार करने विदेशों से आए सहजयोगी देशभर में कला और संगीत की प्रस्तुति दे रहे हैं वे भारत भूमि को पुण्यभूमि कहते हैं जहाँ से विश्व को आध्यात्म का ज्ञान मिला।
सहजयोग संस्थापिका माताजी श्री निर्मला देवी के जन्म शताब्दी महोत्सव वर्ष के अवसर पर सहजयोग संस्था से जुड़े विविध देशों के अनेक सहजयोगी कलाकार इन दिनों भारत भ्रमण पर हैं।भारतीय संस्कृति एवं भारतीय दर्शन में ध्यान के अभ्यास का अनुभव लेकर ये विदेशी कलाकार भारतीय संस्कृति की कला एवं संगीतमय झांकी प्रस्तुत कर रहे हैं। ‘योगधारा’ कार्यक्रम में भारत भूमि का महत्त्व भी परदेशी कलाकारों द्वारा बताया जा कर एवं पूर्ण वंदे मातरम की प्रस्तुति भी दी जा रही है। इन्दौर सहजयोग समन्वयक श्री नीलेश नाइक ने यह जानकारी दी कि अमेरिका, इंगलैण्ड, रशिया, न्यूज़ीलैंड, यूक्रेन, इटली ,जर्मनी,चेक रिपब्लिक, ताइवान, फ्रांस, नेदरलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, रोमानिया, स्विट्ज़रलैंड जैसे 21 देशो से जुड़े ये सहजयोगी कलाकार भारतीय संगीत पर भजन एवं नृत्य के माध्यम से शिव, गणेश महिमा के साथ देवी की स्तुति जैसी अनेक प्रस्तुतियाँ दे रहे हैं।
सहज योग मीडिया प्रभारी डॉ आरती दुबे और अशोक टेमले ने बताया कि‘योगधारा’ विश्व के 21 देशों का समूह है जिसमे 40 से अधिक सहजयोगी कलाकार हैं, जो सहजयोग ध्यान विधि में विगत अनेक वर्षो से निपुण है एवं सहजयोग ध्यान से उन्होंने अपने अंतस में गहन शांति को महसूस किया है, जिसके माध्यम से उन्होंने अपने अनेक दुर्व्यसन एवं बीमारी को दूर कर आनंद को प्राप्त किया है,यह आनंद सभी को प्राप्त हो इस हेतु यह योगी जन विश्व के अनेक देशों से अपने अपने खर्चों पर भारत को पुण्य भूमि मानकर यहाँ करीब 3 माह व्यतीत करते हैं,और सहजयोग ध्यान द्वारा अपने अनुभव को भारतीय संगीत के माध्यम से बताने का प्रयास करते हैं ।भारत के 13 राज्यो में योगधारा के लगभग 40 कार्यक्रम कुल 33 शहरों में हो रहे हैं । मध्य प्रदेश के इन्दौर में इस कार्यक्रम का 25वाँ चरण आगामी 25 के हैरिटेज वॉक एवं,26 फरवरी को संगीत संध्या अभय प्रशाल में हाेने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि श्री निर्मला देवी द्वारा 5 मई 1970 से आरम्भ किया गया, जो की आज विश्व के 120 देशो में प्रचलित है, सहजयोग से कुंडलिनी जागरण एवं आत्मसाक्षात्कार की अनुभूति की जा सकती है, व जैसे ही कुण्डलिनी का जागरण होता है वैसे ही मानव अपने अंदर परम शांति को अनुभव करता है, उसके विचार शून्य हो जाते हैं,एवं नियमित ध्यान करने से वह धीरे-धीरे अपने अंदर व्याप्त अनेक बीमारियों एवं विकारों से भी निजात पाता है। देश एवं विदेशो के अनेक वैज्ञानिकों ने सहजयोग ध्यान पर शोध किया है, एवं इस ध्यान के माध्यम से परम शान्ति व अनेक बीमारियों एवं विकारों से मुक्ति की पुष्टि की है, इसे हर आयु, धर्म एवं वर्ग के लोग महसूस कर सकते हैं।
आज के इस प्रतियोगी दौर में अत्यधिक तनाव में रहने वाले युवा एवं विद्यार्थी सहजयोग के माध्यम से तनाव दूर कर सुख एवं आनंदमय जीवन व्यापन कर रहे हैं। सहजयोग का किसी भी विशेष जाति वर्ण एवं धर्म से मतलब नहीं है इसे सभी मानव अनुभव कर सकते है, एवं कर रहे हैं,यही कारण है कि सहजयोग ध्यान आज भारत के साथ विश्व भर में नियमित अभ्यास किया जा रहा है। इसके माध्यम से विश्व के लाखों लोग अनेक बीमारियों को दूर कर शांति अनुभव कर रहे हैं।