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श्रीकृष्ण के मन से आविर्भूत होने के कारण यहाँ गंगा जी का नाम मानसी गंगा पड़ा।

एक बार श्री नन्द-यशोदा एंव सभी ब्रजवासी गंगा स्नान का विचार बनाकर गंगा जी की ओर चलने लगे। चलते-चलते जब वे गोवर्धन पहुँचे तो वहाँ सन्ध्या हो गयी। अत: रात्रि…

भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा के अनुसार मयासुर द्वारा सभाभवन बनाने की तैयारी

अंर्तयामी नारायण स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण, उनके नित्यसखा नरस्वरूप नरश्रेष्ठ अर्जुन, भगवती सरस्वती और महर्षि वेदव्यास को नमस्कार करके जय का पाठ करना चाहिये” वैशम्पायन जी कहते हैं ;- जनमेजय खाण्डवदाह…

श्रीरामचरितमानस   प्रथम सोपान   बाल-काण्ड    

भरतजी ने कैसे घोड़े तैयार करवाये हैं, अब उनकी विशेषता बतलाते हैं – सुभग सकल सुठि चंचल करनी । अय इव जरत धरत पग धरनी ॥५॥ नाना जाति न जाहिं…

सब ग्रंथों ने यही कहा है कि यह शरीर देवताओं को भी दुर्लभ है

बड़े भाग्य से यह मनुष्य शरीर मिला है। सब ग्रंथों ने यही कहा है कि यह शरीर देवताओं को भी दुर्लभ है (कठिनता से मिलता है)। यह साधन का धाम…

जब नागों की माता पहुंची हनुमान जी की बल-बुद्धि की परीक्षा लेने

हनुमान जी को आकाश में बिना विश्राम लिए लगातार उड़ते देखकर समुद्र ने सोचा कि ये प्रभु श्री रामचंद्र जी का कार्य पूरा करने के लिए जा रहे हैं। किसी…

दान करते समय अपने आप को उस परमात्मा का सेवक समझे।

एक शिव मंदिर के पुजारी जी को भोले नाथ ने- सपने में दर्शन दिए+- औऱ कहा कि कल सुबह नगर के सभी भक्तों,विद्वानों,दान- पुण्य करने वालों-और साधु-महात्माओं को मंदिर में…

उमराव गाँव की सुंदर कथा जहाँ पर किशोरी कुण्ड है

एक बार श्याम सुंदर जी ने छत्र बन (छाता) पर अपने ग्वाल बालों के साथ मिल कर अधिपत्य करलिया था ललिता जी अति क्रोधित हुईं वृज मंडल में एक ही…

सनातन धर्म के सूर्य  महाकवि सूरदास 

सूरज की छाती की धड़कन श्याम नाम के साथ बन्द, लेकिन सूरज की चेतना चौकन्नी है। इस स्पर्श में सहजता क्यों नहीं है।खाल में एक जगह अस्वामाविक ढीलापन, लेकिन भीतर…

सीता की अग्नि परीक्षा – युद्धकाण्ड 25 भाग 152 

एक रात्रि विश्राम करने के पश्चात् श्री रामचन्द्र जी ने विभीषण को बुलाकर कहा, हे लंकेश! मेरा वनवास का समय पूरा होने को है। अब मेरा मन भरत से मिलने…

जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा। तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ावे।

* होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ अस कहि लगे जपन हरिनामा। गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा॥ भावार्थ:-जो कुछ राम ने रच रखा है, वही…