Tag: dharm

 हनुमानजी जैसे संत का आश्रय लोगे तो निश्चित आप भव बंधन से मुक्त हो जाओगे।

* श्री गुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥ भावार्थ:-श्री गुरुजी के चरण कमलों की रज से अपने मन रूपी दर्पण…

हमारी अनमोल धरोहरें ~ मंदिर दर्शन ~ राजस्थान के प्रमुख मंदिर

हमारी अनमोल धरोहरें ~ मंदिर दर्शन ~ राजस्थान के प्रमुख मंदिर भाग दूसरा ~ ( 1 ) गलता जी मंदिर जयपुर :: ( 2 ) कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ ::(…

गुरुवार के दिन इस विधि से करें श्रीहरि की पूजा, पूर्ण होंगी सभी मनोकामनाए

हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा – अर्चना का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि यदि गुरुवार…

अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा- हे पुरुषोत्तम! यह “ब्रह्म” क्या है? “कर्म” क्या है? “अध्यात्म” क्या है?

अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा- हे पुरुषोत्तम! यह “ब्रह्म” क्या है? “कर्म” क्या है? “अध्यात्म” क्या है? “अधिभूत” किसे कहते हैं? और अधिदैव कौन कहलाते हैं? (भगवत गीता 8.01)…

प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में सुख और दुख का सामना करना ही पड़ता है जहां दुख होता है वहां एक दिन सुख की सुबह भी जरूर होती है

प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में सुख और दुख का सामना करना ही पड़ता है जहां दुख होता है वहां एक दिन सुख की सुबह भी जरूर होती है और…

सोमवती स्नान का पर्व था। गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लग रही थी। शिव-पार्वती विचरण को निकले थे।

आकाश से गुजरते समय पार्वतीजी की नजर भीड़ की ओर गई। पार्वतीजी ने इतनी ज्यादा भीड़ का कारण शिवजी से पूछा। शिवजी ने बताया- आज सोमवती पर्व है। आज गंगा…

एक बार स्वर्ग से घोषणा हुई कि भगवान सेब बाँटने आ रहे हैं, सभी लोग भगवान के प्रसाद के लिए तैयार हो कर लाइन लगाकर खड़े हो गए.

एक बार स्वर्ग से घोषणा हुई कि भगवान सेब बाँटने आ रहे हैं, सभी लोग भगवान के प्रसाद के लिए तैयार हो कर लाइन लगाकर खड़े हो गए. एक छोटी…

हम चारों भाई चाहे जितनी बार जन्म लेेलें,हनुमानजी से उऋण नही हो सकते।

।। कौन काटता राम जी के बंधन।। ।। कौन काटता राम जी के बंधन।। ।।जो हनुमान ना होते।। ।।जो हनुमान ना होते।। ।। संकट कटे मिटे सब पीरा।। ।।जो सुमिरै…

गीता को स्पर्श करने का अर्थ है आप श्रीनारायण के अंगों का स्पर्श कर रहे हैं

भगवान श्रीहरि मूर दैत्य का नाश करने के बाद बैकुंठ लोक में शेष शय्या पर आंखें मूंदे लेटे मन ही मन मुस्कुरा रहे थे. देवी लक्ष्मी उनकी चरण सेवा कर…

रामायण के सात काण्ड – मानव की उन्नति के सात सोपान

1 बालकाण्ड बालक प्रभु को प्रिय है क्योकि उसमेँ छल ,कपट , नही होता । विद्या , धन एवं प्रतिष्ठा बढने पर भी जो अपना हृदय निर्दोष निर्विकारी बनाये रखता…