Tag: dharm

रावण द्वारा चरण प्रहार करने के बाद,विभीषण का भगवान्‌ श्री रामजी की शरण के लिए प्रस्थान और शरण प्राप्ति,

* रामु सत्यसंकल्प प्रभु सभा कालबस तोरि। मैं रघुबीर सरन अब जाउँ देहु जनि खोरि॥ विभीषण जी रावण से कहते हैं,श्री रामजी सत्य संकल्प एवं सर्वसमर्थ प्रभु हैं और हे…

एक विद्वान् संत को आदत थी हर बात पे ये कहने की – जय शिव शंकर ,ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा ही करता है

एक विद्वान् संत को आदत थी हर बात पे ये कहने की – जय शिव शंकर ,ॐ नमों नारायण नारायण , प्रभु तेरा शुक्रिया है तू जो करता है अच्छा…

धरती पर पहली बार महर्षि भृगु ने ही अग्नि का उत्पादन करना सिखाया था।

महर्षि भृगु की वंशावली भृगु से भार्गव, च्यवन, और्व, आप्नुवान, जमदग्नि, दधीचि आदि के नाम से गोत्र चले। यदि हम ब्रह्मा के मानस पुत्र भृगु की बात करें तो वे…

हनुमान जी का चरित्र अति सुन्दर,निर्विवाद और शिक्षाप्रद है, उन्ही के चरित्र की प्रधानता श्रीरामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड में सर्वत्र हुई है।

सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि। ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकत हानि॥ श्री रामजी फिर बोले-) जो मनुष्य अपने अहित का अनुमान करके शरण में आए हुए का…

महाराज दशरथ का जन्म एक बहुत ही अद्भुत घटना है

महाराज दशरथ का जन्म एक बहुत ही अद्भुत घटना है पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि एक बार राजा अज दोपहर की वंदना कर रहे थे…

 यशोदारानी ने मन-ही-मन श्रीकृष्णचन्द्र को बाँधने का निश्चय कर लिया।

मैया नहीं जानती कि वे वास्तव में किन्हें बन्धन में लाने का विचार कर रही हैं। वे श्रीकृष्णचन्द्र के अनन्त, असमोर्द्ध ऐश्वर्य से परिचित नहीं हैं। उनके लिये तो श्रीकृष्णचन्द्र…

चण्डकौशिक मुनि के द्वारा जरासंध का भविष्य कथन तथा पिता के द्वारा उसका राज्याभिषेक करके वन में जाना

श्रीकृष्ण कहते हैं ;- राजन्! कुछ काल के पश्चात् महातपस्वी भगवान् चण्डकौशिक मुनि पुनः मगधदेश में घूमते हुए आये। उनके आगमन से राजा बृहद्रथ को बड़ी प्रसन्नता हुई। वे मन्त्री,…

प्रार्थना ईश्वर के प्रति अंतर आत्मा से निकली हुई पुकार है, इस पुकार में बनावटीपन नहीं होता है।

हृदय की गहराई से निकली हुई पुकार कभी भी निष्फल नहीं होती क्योकि इसमें गहन आस्था और प्रबल विश्वास होता है, और इसका परिणाम हमेशा सकारात्मक होता है। हमारे प्राचीन…

विज्ञान के अनुसार घर में तुलसी-पौधे लगाने से स्वस्थ वायुमंडल का निर्माण होता है।

तुलसी के नियमित सेवन से सौभाग्यशालिता के साथ ही सोच में पवित्रता, मन में एकाग्रता आती है और क्रोध पर नियंत्रण होता है आलस्य दूर होकर शरीर में दिनभर स्फूर्ति…

हनुमान जी को प्राप्त अष्ट सिद्धियां

‘सिद्धि’ शब्द का तात्पर्य सामान्यतः ऐसी परलौकिक और आत्मिक शक्तियों से है जो तप और साधना के द्वारा प्राप्त होती हैं | अणिमा महिमा चैव लघिमा गरिमा तथा | प्राप्तिः…