मेडिकल टेक्नोलॉजीस में ग्लोबल लीडर, स्ट्राइकर ने देश में अनुसंधान एवं विकास में इसकी उपस्थिति में महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाते हुए, आज आधिकारिक तौर पर भारत में अपने प्रोटोटाइप और टेस्टिंग लैब का विस्तार किया। 55,600 वर्ग फुट में फैली हुई यह उन्नत लैब अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, उन्नत माइक्रोबायोलॉजी क्षमताओं और एक प्रतिभाशाली टीम से परिपूर्ण है, जो अपने मेडिकल टेक्नोलॉजी पोर्टफोलियो में नवाचार को बढ़ावा देने और प्रोडक्ट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राम रंगराजन, वाइस प्रेसिडेंट, स्ट्राइकर ग्लोबल टेक्नोलॉजी सेंटर, भारत, ने कहा, “स्ट्राइकर भारत में इनोवेशन में निवेश पर गहनता से ध्यान देने के लिए दृढ़ है। यह नवीनतम लैब उन मेडिकल टेक्नोलॉजीस को विकसित करने की हमारी प्रतिबद्धता को उजागर करती है, जो सुधार के रूप में मरीजों को संबंधित बीमारी के लिए उचित परिणाम प्रदान करने और उच्चतम नियामक मानकों का अनुपालन करने पर आधारित है।”
स्ट्राइकर की यह नवीनतम लैब मेडिकल डिवाइसेस की दृढ़ लाइफ साइकिल टेस्टिंग करने के लिए समर्पित है। नई लैब विभिन्न प्रमुख विशेषताओं से परिपूर्ण है:
प्रोटोटाइपिंग और प्रोडक्ट एश्योरेंस हब: यह लैब प्लास्टिक 3डी प्रिंटिंग, मेटल मशीनिंग और टेस्टिंग क्षमताओं की एक विविध श्रृंखला के लिए अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से सुसज्जित है, जो स्ट्राइकर के संपूर्ण प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में प्रोटोटाइपिंग और प्रोडक्ट एश्योरेंस का समर्थन करती है।
विस्तारित माइक्रोबायोलॉजी योग्यता: यह लैब व्यापक माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्टिंग करने की स्ट्राइकर की क्षमता को मजबूत करती है, जिससे इसकी मेडिकल टेक्नोलॉजीस की सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित होती है।
इंजीनियर्स और माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स की प्रतिभाशाली टीम: उन्नत इक्विपमेंट और विशेषज्ञता के उपयोग के माध्यम से अत्यधिक कुशल इंजीनियर्स और माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स ऐसे नवीन समाधान विकसित करेंगे, जो दुनिया भर के मरीजों पर सकारात्मक प्रभाव डालने में योगदान देंगे।
राम रंगराजन ने आगे कहा, “इस लैब विस्तार को हमारे स्ट्राइकर ग्लोबल टेक्नोलॉजी सेंटर को और भी अधिक मजबूत करने का श्रेय जाता है। इतना ही नहीं, यह भारत में नवाचार को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि भी है। स्ट्राइकर का लक्ष्य देश में प्रतिभा और विशेषज्ञता से लाभान्वित होते हुए, ऐसी मेडिकल टेक्नोलॉजीस विकसित करना है, जिससे दुनिया भर के मरीजों को फायदा मिल सके।”