वृन्दावन! मंदिरों की नगरी वृन्दावन में सैंकड़ो मंदिर हैं! यमुना तट पर स्थित मदन मोहन मंदिर यहाँ का प्राचीन एवं एतिहासिक मंदिर है! मदनमोहन भगवान कृष्ण का ही एक नाम है! आज जिस मंदिर में उनकी पूजा होती है, उसका निर्माण बंगाल के नंदलाल बोस ने करवाया था! लेकिन मदनमोहन जी का वास्तविक मंदिर उससे बहुत पहले 1580 में बनवाया गया था! वह मंदिर आज भी 50 फीट ऊँचे आदित्य टीले पर स्थित है!
कहते हैं की आदित्य टीला वह पवित्र स्थान है जहाँ कालिया मर्दन के बाद भगवान कृष्ण ने विश्राम किया था! यहाँ प्राचीन मंदिर का निर्माण मुल्तान के एक व्यवसायी रामदास कपूर ने करवाया था! कहते हैं एक बार रामदास नौका द्वारा अपने व्यापर के लिए यमुना नदी से जा रहे थे! एक स्थान पर उनकी नौका रेत में फँस गयी! उन्हें नौका के साथ उसमें रखे कीमती सामन के नष्ट होने का भय सताने लगा! वहीँ यमुना तट पर उन्हें सनातन गोस्वामी की भजन कुटी नज़र आई! उन्होंने अपनी परेशानी सनातन गोस्वामी जी से कही तो उन्होंने मदनमोहन जी के विग्रह से प्रार्थना करने को कहा!
कहते हैं भगवान से प्रार्थना करने के बाद जब वह व्यवसाई पुनः अपनी नौका को बढ़ाने का प्रयास करने लगा तो वह तुरंत रेत से निकल आयी! बाद में रामदास कपूर ने उसी भव्य स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया! जिसके बाद मदनमोहन का वह पावन विग्रह उस मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया!
बाद में 1819 में श्री नन्दलाल बोस द्वारा टीले के साथ ही नए मंदिर का निर्माण कराया गया! वर्तमान में यहीं मदनमोहन जी की पूजा की जाती है! आज मंदिर के गर्भग्रह में मदनमोहनजी के मूल विग्रह के स्थान पर प्रतिभू विग्रह उपस्थित है! विग्रह के दांये में ललिता जी एवं बाएं में राधिका जी उपस्थित हैं! ललिता सखी का विग्रह बड़ा है, छोटा वाला विग्रह राधिका जी का है! यहाँ दोनों प्रतिमा उड़ीसा के राजकुमार पुरषोत्तमजाना ने भिजवायीं थी!
पुराने मंदिर की एक दिशा में सनातन गोस्वामी की भजन कुटी, उनकी समाधी एवं ग्रन्थ समाधी है! परिसर में चैतन्य महाप्रभु का मंदिर भी है! उन्होंने कुछ समय यहाँ व्यतीत किया था! आज दूर-दूर से नित्य सैंकड़ो श्रद्धालु दोनों मंदिर देखने आते हैं! यहाँ मंदिर वृन्दावन में कालियादह के समीप स्थित है!