नई दिल्ली
78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारत में तीन नए रामसर स्थलों (साइट्स) की घोषणा की है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि से देश में रामसर साइट्स की कुल संख्या 85 हो गई है। ये तीन नए स्थल हैं तमिलनाडु के नांजारायन पक्षी अभयारण्य और काझुवेली पक्षी अभयारण्य तथा मध्य प्रदेश का तवा जलाशय। इन स्थलों को जोड़ने से भारत की समृद्ध जैवविविधता और आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रयासों को एक और नई ऊंचाई मिलेगी। आइए जानते हैं आर्द्रभूमि संरक्षण और रामसर साइट्स क्यों जरूरी हैं।
रामसर साइट्स का ऐलान रामसर कन्वेंशन के तहत किया जाता है। यह कन्वेंशन एक अंतर-सरकारी संधि है जिसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) का संरक्षण और सतत उपयोग सुनिश्चित करना है। इसके तहत सदस्य देशों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी महत्वपूर्ण वेटलैंड्स की पहचान करें और उन्हें रामसर लिस्ट में शामिल करें। यह संधि वेटलैंड्स की जैवविविधता को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर देती है। रामसर साइट्स को उनकी अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स के रूप में पहचाना जाता है और यह साइट्स उन वेटलैंड्स की महत्वपूर्ण जैवविविधताओं को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने तीन नए रामसर साइट्स की इस घोषणा के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “जैसे ही देश स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है, यह बताते हुए रोमांचित हूं कि हमने अपने नेटवर्क में तीन रामसर साइट्स को जोड़ा है। अब हमारे देश में रामसर साइट्स की संख्या को 85 हो गई है। यह क्षेत्र 13,58,068 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करता है। यह उपलब्धि पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने पर दिए गए जोर को दर्शाती है। उन्होंने हमारे आर्द्रभूमियों को ‘अमृत धरोहर’ कहा है और उनकी संरक्षण के लिए निरंतर कार्य किया है।”
तमिलनाडु का नांजारायन पक्षी अभयारण्य और काझुवेली पक्षी अभयारण्य जैविक विविधता के अद्वितीय स्थलों में से हैं। नांजारायन पक्षी अभयारण्य प्रवासी पक्षियों के लिए शीतकालीन और प्रजनन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, यह लगभग 130 पक्षी प्रजातियों का घर है। इसके अलावा यहां सरीसृप, मछली और पौधों की कई प्रजातियां भी पाई जाती हैं। वहीं काझुवेली पक्षी अभयारण्य भी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है और इसमें कई प्रवासी पक्षी और अन्य वन्यजीव निवास करते हैं। मध्य प्रदेश का तवा जलाशय, नर्मदापुरम जिले में स्थित है। यह तवा नदी पर निर्मित तवा बांध से बना है। इस जलाशय का निर्माण 1958 में शुरू हुआ और 1978 में पूरा हुआ। तवा जलाशय सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के पास स्थित है, जो भारत के महत्वपूर्ण बाघ संरक्षण क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र न केवल जल संसाधनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, बल्कि स्थानीय जैवविविधता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
भारत में इन तीन नए रामसर स्थलों की घोषणा न केवल देश की प्राकृतिक धरोहरों की सुरक्षा को बल देती है, देश में चल रहे पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी रेखांकित करती है। यह देश की समृद्ध जैवविविधता को संरक्षित करने और प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन नई रामसर साइट्स के जुड़ने से भारत के आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रयासों को नई गति मिली है और यह देश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।