नईदिल्ली
दुनिया कुछ समय पहले कोविड-19 वायरस के खतरे से बाहर निकली ही थी कि अब एक और वायरस ने चिंता बढ़ा दी है. इस वायरस का नाम एमपॉक्स (Mpox) है, जिसे लेकर डब्ल्यूएचओ ने ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है. स्वास्थ्य एजेंसी ने इसे ‘ग्रेड 3 इमरजेंसी’ के रूप में वर्गीकृत किया है जिसका अर्थ है कि इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. जनवरी 2023 से अब तक 27,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और लगभग 1100 मौतें दर्ज की गई हैं. यह वायरस अब कांगो के कुछ हिस्सों के अलावा पूर्वी कांगो से रवांडा, युगांडा, बुरुंडी और केन्या तक फैल गया है.
पाकिस्तान में इस साल का पहला एमपॉक्स का मामला सामने आया है। हाल ही में सऊदी अरब से लौटे एक शख्स में इस वायरस की पुष्टि हुई है। एआरवाई न्यूज ने स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से यह जानकारी दी है। मरदान का रहने वाला एक शख्स तीन अगस्त को पाकिस्तान पहुंचा था। पेशावर पहुंचने के कुछ समय बाद ही उसमें लक्षण दिखने लगे और वह जांच के लिए अस्पताल पहुंचा। एआरवाई न्यूज के अनुसार, पेशावर में खैबर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने इस बीमारी की पुष्टि की है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने उठाए एहतियाती कदम
सऊदी अरब से लौटे शख्स में एमपॉक्स का वायरस मिलने के बाद हड़कंप मच गया। स्वास्थ्य अधिकारियों ने सऊदी अरब से उनकी उड़ान पर साथी यात्रियों सहित संक्रमित शख्स के निकट संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों की पहचान और निगरानी के लिए ट्रेसिंग प्रयास शुरू कर दिए हैं।
स्वीडन में मिला Mpox का केस
इस बीच यहां यह भी बता दें कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एमपॉक्स के बढ़ते खतरे को लेकर आगाह किया था। इससे पहले अफ्रीका से बाहर स्वीडन में भी एमपॉक्स के पहले केस की पुष्टि हो गई है। एक दिन पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो साल में दूसरी बार इस बीमारी को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। स्वीडिश पब्लिक हेल्थ एजेंसी के महानिदेशक ओलिविया विगज़ेल ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि संक्रमित व्यक्ति अफ्रीका के एक हिस्से में रहने के दौरान वायरस की चपेट में आया, जहां यह बीमारी बड़े पैमाने पर फैली हुई है।
कितने लोगों की हुई मौत
गौरतलब है कि, एमपॉक्स कांगो सहित 13 अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रहा है। अब तक इस बीमारी से 524 लोगों की मौत हो चुकी है। WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने एमपॉक्स के बढ़ने पर आईएचआर आपातकालीन समिति की बैठक के बाद मीडिया ब्रीफिंग की थी। उन्होंने कहा था कि तीन वर्षों में यह दूसरी बार है जब एमपॉक्स आपातकालीन स्थिति में पहुंच गया है, WHO अफ्रीका में एमपॉक्स के प्रकोप पर काम कर रहा है।
स्वीडन की पब्लिक हेल्थ एजेंसी ने बयान जारी करते हुए कहा, ‘स्टॉकहोम में इलाज कराने आए एक व्यक्ति में क्लेड I वेरिएंट के कारण एमपॉक्स का पता चला है. यह क्लेड I के कारण अफ्रीकी महाद्वीप के बाहर मिला पहला मामला है.’
डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा?
डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस (Dr Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने एक न्यूज कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘एमपॉक्स के एक नए ग्रुप का उभरना, पूर्वी डीआरसी (कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य) में इसका तेजी से फैलना और कई पड़ोसी देशों में मामलों की सूचना मिलना बहुत चिंताजनक है. डीआरसी और अफ्रीका के अन्य देशों में अन्य एमपॉक्स क्लेड्स के प्रकोप के अलावा, यह स्पष्ट है कि इन प्रकोपों को रोकने और जीवन बचाने के लिए एक इंटरनेशनल एक्शन की जरूरत है.’
महामारी विज्ञानी मैग्नस गिसलेन का कहना है, ‘ऐसा माना जा रहा है कि मरीज अफ्रीका के एक ऐसे क्षेत्र की यात्रा के दौरान इस वायरस से संक्रमित हुआ, जहां वर्तमान में एमपॉक्स क्लेड I का खतरा है.’
अब ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि एमपॉक्स क्या है, यह कैसे फैलता है और इससे कैसे बचा जा सकता है. तो आइए इन सबके बारे में डिटेल में जानते हैं.
एमपॉक्स क्या है?
एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है, जो ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस की एक प्रजाति है. एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था. इस वायरस की पहचान वैज्ञानिकों ने पहली बार 1958 में की थी जब बंदरों में ‘पॉक्स जैसी’ बीमारी का प्रकोप हुआ था. एमपॉक्स (Mpox) वायरस के उसी परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक (Cheapox) होता है.
एमपॉक्स कैसे फैलता है?
एमपॉक्स वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति या जानवर के साथ संपर्क में आने से फैलता है. एमपॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रामक त्वचा या मुंह या जननांगों जैसे अन्य घावों के सीधे संपर्क के माध्यम से फैल सकता है. मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में अधिकांश मामले उन लोगों में देखे गए हैं जो संक्रमित जानवरों के साथ संपर्क में रहते थे.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह संक्रमण कपड़ों या लिनेन जैसी दूषित वस्तुओं के उपयोग, टैटू की शॉप, पार्लर या अन्य पब्लिक जगहों पर यूज होने वाली कॉमन चीजों से भी फैल सकता है. संक्रमित पशुओं से मनुष्यों को काटने, खरोंचने, खाने या जानवरों के साथ अन्य एक्टिविटी से भी यह वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है.
एमपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
एमपॉक्स से संक्रमित लोगों को अक्सर शरीर पर दाने हो जाते हैं जो हाथ, पैर, छाती, चेहरे या मुंह या जननांगों के आसपास हो सकते हैं. ये दाने अंततः फुंसी (मवाद से भरे बड़े सफेद या पीले दाने) और ठीक होने से पहले पपड़ी बनाते हैं. इसके अन्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द भी शामिल है.
वायरस से लड़ने की कोशिश करते समय लिम्फ नोड्स भी सूज सकते हैं और दुर्लभ मामलों में यह वायरस जानलेवा भी हो सकता है. इससे संक्रमित व्यक्ति शुरुआती लक्षण से दाने निकलने और फिर ठीक होने तक कई लोगों को संक्रमित भी कर सकता है.
लक्षण कितने दिन तक रहते हैं?
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, एमपॉक्स के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 21 दिनों के अंदर दिखना शुरू होते हैं. एमपॉक्स के संपर्क में आने और लक्षण दिखने का समय 3 से 17 दिन है. इस दौरान, व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखते. लेकिन इस समय के पूरा होने के बाद वायरस का असर दिखने लगता है.
एमपॉक्स का इलाज क्या है?
एमपॉक्स का अभी तक कोई खास इलाज नहीं है. हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसके लक्षण दर्द और बुखार की दवा देने की सलाह देता है. सीडीसी का कहना है कि अगर किसी मरीज की इम्यूनिटी अच्छी है और उसे स्किन की बीमारी नहीं है तो वह बिना किसी ट्रीटमेंट के भी ठीक हो सकता है. बस उसे देखभाल की जरूरत होगी.