नई दिल्ली
मोदी सरकार सरकारी कामकाज में पांच साल पहले एक नया तरीका लाई थी, जिसको लेटरल एंट्री कहा जाता है। इस तरह की भर्ती 2019 में पहली बार की गई थी, और अब इसे बड़े पैमाने पर दोहराया जा रहा है। लेटरल एंट्री को सरकारी नौकरशाही में बाहरी विशेषज्ञों को लाने की योजना के तौर पर समझा जा सकता है।
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही प्रशासनिक तंत्र में नई ऊर्जा लाने के लिए प्रशासनिक ढांचे में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में ही कैबिनेट सचिव और गृह सचिव सहित 20 सचिवों के तबादले किए हैं। इसके साथ ही, सरकार ने प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। वह है ‘डोमेन एक्सपर्ट्स’ यानी विशेषज्ञों की भर्ती। केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने इस संबंध में एक विज्ञापन जारी किया है।
मौजूदा समय की सबसे बड़ी लेटरल एंट्री के तहत सरकार का लक्ष्य संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक स्तर पर 45 डोमेन एक्सपर्ट्स की भर्ती करना है। इनमें से 10 पद संयुक्त सचिव स्तर के हैं, बाकी उप सचिव और निदेशक स्तर के हैं। ये भर्तियां वित्त, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि, पर्यावरण और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के लिए की जाएंगी। सरकार का मानना है कि डोमेन एक्सपर्ट्स के आने से नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सुधार होगा। यह एक्सपर्ट्स निजी क्षेत्र में अपने क्षेत्र में विशेष अनुभव रखते हैं। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य सरकारी क्षेत्र में विशेष ज्ञान और निजी क्षेत्र के अनुभव को शामिल करना है।
लेटरल एंट्री अपने आप में एक दिलचस्प पहल रही है। इससे पहले केंद्रीय नौकरशाही में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ही शामिल होते रहे हैं। मोदी सरकार ने शासन में अपेक्षाकृत नया दृष्टिकोण लाते हुए, पारंपरिक सिविल सेवाओं के बाहर से पेशेवरों को लाने के लिए लेटरल एंट्री शुरू थी। साल 2019 में ऐसे कई लोगों को पहली बार सरकारी नौकरी मिली थी। लेटरल एंट्री के जरिए नए लोगों के नए विचार और अनुभव का लाभ लेने के लिए ऐसे विशेषज्ञों को भर्ती किया जा चुका है, जिनको अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, और कृषि जैसे क्षेत्रों का अच्छा ज्ञान था। पिछले पांच सालों में सरकार ने कुछ बैच में इन डोमेन स्पेशलिस्ट को भर्तियां दी हैं। इनमें से कुछ लोगों को संयुक्त सचिव के पद पर रहने के लिए एक्सटेंशन भी दिया गया है।
हालांकि, लेटरल एंट्री में संभावनाओं के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। कुछ विशेषज्ञ नई सोच और प्रभावी बदलाव लाए हैं, तो कुछ को नौकरशाही की जटिलताओं से जूझना पड़ा है। लेटरल एंट्री के विशेषज्ञों को सरकारी कामकाज के अनुकूल ढालना बड़ी चुनौती है। इसलिए, लेटरल एंट्री में कुछ ऐसे भी लोग थे जो सरकारी नौकरी छोड़कर वापस निजी क्षेत्र में चले गए। इन सब चुनौतियों के बावजूद, हालिया समय में यह लेटरल एंट्री के लिए सबसे बड़ा बैच है और यह नौकरशाही में सुधार लाने और बाहरी प्रतिभाओं का उपयोग करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।