पेरिस
पेरिस ओलंपिक 2024 में जैवलिन थ्रो का फाइनल बेहद रोमांचक रहा। पाकिस्तान के अरशद नदीम ने नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाते हुए इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम किया, जबकि सीजन के अपने बेस्ट थ्रो के साथ नीरज चोपड़ा को गुरुवार रात रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा।नीरज चोपड़ा जो क्वालीफाइंग में 89.34 मीटर के शानदार प्रयास के साथ फाइनल में स्वर्ण के प्रबल दावेदार थे, लेकिन उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिला।इस खास उपलब्धि और देश का मान बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीरज को बधाई और शुभकामनाएं दी।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “नीरज चोपड़ा उत्कृष्टता के साक्षात उदाहरण हैं। उन्होंने बार-बार अपनी प्रतिभा दिखाई है। भारत को खुशी है कि वह एक बार फिर ओलंपिक में सफल रहे हैं। रजत पदक जीतने पर उन्हें बधाई। वह आने वाले अनगिनत एथलीट्स को अपने सपनों को पूरा करने और हमारे देश को गौरवान्वित करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।”
पदक मुकाबले में नीरज ने 89.45 मीटर जैवलिन फेंका, लेकिन यह मौजूदा विश्व चैंपियन और डायमंड लीग फाइनल विजेता के लिए पर्याप्त साबित नहीं हुआ क्योंकि पाकिस्तान के अरशद नदीम ने नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीतकर उन्हें पछाड़ दिया। पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर के थ्रो के साथ नया ओलंपिक रिकॉर्ड स्थापित किया।
92.97 मीटर के विशाल थ्रो ने नदीम को शीर्ष स्थान पर पहुंचा दिया और वह 88, 72, 79.40 मीटर और 84.87 मीटर के थ्रो के साथ उस स्थान पर बने रहे और फिर 91.79 मीटर के थ्रो के साथ प्रतियोगिता समाप्त की। यह दूसरी बार था जब किसी ने ओलंपिक में दो बार 90 मीटर का आंकड़ा पार किया।
वह ओलंपिक में व्यक्तिगत प्रतियोगिताओं में पाकिस्तान के पहले स्वर्ण पदक विजेता बन गए हैं। ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने 88.54 मीटर दूर जैवलिन फेंक कर कांस्य पदक जीता।
चोपड़ा ने फाइनल की शुरुआत अपने पहले प्रयास में फाउल से की, नदीम ने भी अपना पहला थ्रो फाउल किया, जबकि त्रिनिदाद के केशोर्न वाल्कोट ने 86.16 मीटर के थ्रो के साथ बढ़त बनाई। एंडरसन पीटर्स 84.70 मीटर के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
पदक के सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे नीरज का पहला प्रयास असफल रहा। ऐसे में दबाव में नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में 89.45 मीटर जैवलिन (सीजन बेस्ट) फेंका। इसके बाद भारतीय एथलीट के अगले 4 प्रयास भी फाउल रहे।
पेरिस ओलंपिक में जैवलिन थ्रो इवेंट इतनी चुनौतीपूर्ण थी कि टोक्यो में रजत पदक जीतने वाले जर्मनी के जूलियन वेबर को छठे स्थान से संतोष करना पड़ा।
नीरज से उम्मीदें इतनी ज्यादा थीं कि रजत पदक जीतना निराशाजनक रहा, लेकिन गुरुवार को नीरज कुछ नहीं कर सके क्योंकि नदीम ने सभी को मात दे दी।
रजत पदक जीतने के साथ नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए इतिहास रच दिया, वे ओलंपिक में लगातार दो पदक जीतने वाले दूसरे पुरुष भारतीय और कुल मिलाकर तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं।
उनसे पहले पहलवान सुशील कुमार ने 2008 और 2012 के खेलों में कांस्य और रजत पदक जीता था। पीवी सिंधु लगातार दो पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय हैं। उन्होंने 2016 और 2020 में रजत पदक जीते थे।
नीरज का रजत पदक पेरिस में भारत का पांचवां पदक था, जिसमें एक रजत और चार कांस्य पदक शामिल थे। पिछले कुछ वर्षों से भारतीय खिलाड़ी चोटों से जूझ रहे हैं और ऐसा लगता है कि इसका असर अभी भी है।
नीरज चोपड़ा को क्या मिला?
नीरज चोपड़ा को ओलंपिक या वर्ल्ड एथलेटिक्स की तरफ से सिल्वर मेडल जीतने पर कोई प्राइज मनी नहीं मिली है। इस ओलंपिक में वर्ल्ड एथलेटिक्स ने सिर्फ गोल्ड मेडलिस्ट के लिए ही प्राइज मनी का ऐलान किया है। 2028 में लॉस एंजिलिस में होने वाले ओलंपिक से एथलेटिक्स के सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडलिस्ट को भी प्राइज मनी दी जाएगी। एथलेटिक्स के अलावा इस बार किसी अन्य इवेंट में विजेताओं को कोई प्राइज मनी नहीं मिली है।
नीरज ने इससे पहले दस मुकाबलों में हमेशा नदीम को हराया था। गोल्ड हाथ से फिसलने के बाद नीरज का दर्द छलका है। नीरज ने कहा कि आज उनका दिन नहीं था। उन्होंने साथ ही एक बड़ी भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा कि भले ही मैं पेरिस में राष्ट्रगान नहीं बजवा पाया लेकिन कहीं और यह जरूर होगा। बता दें कि जिस देश का खिलाड़ी गोल्ड जीतता है, उसके यहां का राष्ट्रगान बजाया जाता है।
‘जो कमियां हैं, उनको सुधारेंगे’
26 वर्षीय नीरज ने सिल्वर मिलने के बाद कहा, ”देश के लिए जब भी मेडल जीतते हैं तो उसकी खुशी होती है। अब गेम में इम्प्रूवमेंट का समय है। हम बैठेंगे, चर्चा करेंगे और सुधार करेंगे। जो कमियां हैं, उनको सुधारेंगे। अगर ओवरऑल देखें तो इंडिया की परफर्मेंस अच्छी रही है। टोक्यो के साथ गोल्ड, ब्रॉन्ज या सिल्वर की तुलना ना करें। जरूरी नहीं है कि हर बार हमारे मेडल बढ़ते जाएं। लेकिन आने वाले समय के लिए यह संकेत है कि हमारे मेडल और बढ़ेंगे।” वहीं, नीरज से जब टोक्यो की तुलना में पेरिस के फाइनल में कड़ी टक्कर पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”कंपटीशन बहुत अच्छा था। हर एथलीट का अपना दिन होता है। आज अरशद का दिन था। लेकिन टोक्यो, बुडापेस्ट या एशियन गेम्स की बात करें तो अपना दिन था।”
‘मैं स्वीकार करता हूं कि…’
उन्होंने आगे कहा, ”मैंने अपना बेस्ट दिया लेकिन कुछ चीजों पर ध्यान देने और उनपर काम करने की जरूरत है। थोड़ा इंजरी ठीक करके उस दिशा में काम करना होगा। खेल के समय जो फोकस इंजरी की तरफ रहता है, वो परफॉर्मेंस की तरफ हो, यह देखने होगा। थ्रो तो है और अच्छा है। एक बार निकलेगी जब सब तरीके से फिट हो जाएंगे और मेंटली बिलकुल तैयार होंगे। सबकी उम्मीद थी कि हमारा हमारा राष्ट्रगान बजे। उसपर खरा भी उतरे हैं। लेकिन मैं यह बात स्वीकार करता हूं कि आज शायद अपना दिन नहीं था। हमेशा अच्छा रहा है पर आज राष्ट्रगान नहीं बजवा पाया। भले ही पेरिस में राष्ट्रगान नहीं बजा मगर आगे फिर मौका मिलेगा और कहीं और ऐसा होगा।”